लोकेश को मिला मेहनत का भरपूर परिणाम
भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र ने दिखाया रास्ता
छब्बीस वर्षीय लोकेश कुमार जिला फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश के तूर उत्पादकों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं। फिरोजाबाद सहित पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से कुल उत्पादकता कम हो रही है, जो इस क्षेत्र के किसानों के लिए चिंता की मुख्य वजह है। भूमि संरचना का संरक्षण किसानों के लिए एक चुनौती है। लोकेश ने अपने प्रयासों द्वारा यहां के किसानों को जैविक खेती के माध्यम से आलू के बजाय मटर या तूर उत्पादन का एक बेहतर विकल्प का रास्ता बताया है, जो किसानों को लाभदायक परिणाम दे रहा हैं। इससे आस-पास के जिले के लोग भी काफी उत्साहित हैं।.
लोकेश गांव नगला राधे, सिरसागंज, फिरोजाबाद का निवासी है, जिसके पास पांच एकड़ की पैतृक भूमि है। लोकेश ने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। इसके अलावा उसे खेती के नए तरीके सीखने का भी काफी शौक है, जिससे वह खेती का भरपूर लाभ उठा सके। उसके लिए खेती की मुख्य चिंता यह है कि अधिक उत्पादन के उद्देश्य से अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से खेतों की उत्पादकता कम हो रही है और भूमि बंजर हो रही है। ऐसा जल्दी मुनाफा देने वाली आलू की फसल से हो रहा है। लोकेश ने इस समस्या से निजात पाने का फैसला किया।
इसके लिए उसने वर्ष 2008 में राज्य के कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में भाग लिया। इस प्रदर्शनी के माध्यम से उसे इस बात का पता चला कि क्षेत्रीय किसान जैविक खेती के साथ मिश्रित खेती का भी लाभ उठा सकते हैं। यह बात जानकर उसने दाल की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए नए कार्यक्रमों और परियोजनाओं की जानकारी एकत्र की। लोकेश ने भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में हिस्सा लिया जहां उसे दाल और आईआईपीआर द्वारा विकसित की गई दलहन किस्मों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई।
आईआईपीआर के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने के बाद लोकेश ने अपने खेत में तूर का उत्पादन शुरू कर दिया, जिससे उसे इसके काफी अच्छे परिणाम मिले। तूर का उत्पादन मात्र 3000 से 4000 रु.\एकड़ की लागत से एक लाख रु.\एकड़ का मुनाफा दे रहा है। इस सफलता ने उसके साथी किसानों को अपनी आय बढ़ाने का एक नया रास्ता दिखाया। अब इसे एक क्रांतिकारी रूप देते हुए 50 एकड़ खेत पर तूर की खेती की जा रही है।
अब लोकेश ने तूर उत्पादकों का एक समूह गठित किया है, जिससे वे किसी मध्यस्थ की मदद के बिना अपना पूरा उत्पादन सीधे बाजार मूल्य पर बेच रहे हैं। इससे उन्हें उनके उत्पादन का भरपूर लाभ मिल रहा है। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हो रही है बल्कि साथ ही साथ देश की कुल उत्पादकता में भी सुधार आ रहा है।
(स्रोत- मास मीडिया मोबलाइजेशन सब.प्रोजेक्टए एनएआईपीए दीपा)
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