भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता द्वारा सतत कृषि विकास को उचित समर्थन एवं विस्तार देने के लिए आदर्श बदलाव पर संगोष्ठी आयोजित
भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता द्वारा सतत कृषि विकास को उचित समर्थन एवं विस्तार देने के लिए आदर्श बदलाव पर संगोष्ठी आयोजित

29 सितंबर, 2023, कोलकाता

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता ने कृषि विज्ञान केन्द्र प्रणाली में उत्प्रेरित परिवर्तन के लिए शुरू की गई संगोष्ठी श्रृंखला के तहत “सतत कृषि विकास को उचित समर्थन देने एवं विस्तार के लिए आदर्श बदलाव” पर एक संगोष्ठी का आयोजन आज हाइब्रिड मोड में किया।

भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता द्वारा सतत कृषि विकास को उचित समर्थन एवं विस्तार देने के लिए आदर्श बदलाव पर संगोष्ठी आयोजित  भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता द्वारा सतत कृषि विकास को उचित समर्थन एवं विस्तार देने के लिए आदर्श बदलाव पर संगोष्ठी आयोजित

कार्यक्रम की शुरुआत, हरित क्रांति के प्रणेता एवं भाकृअनुप के पूर्व महानिदेशक (डीजी) डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के निधन पर दो मिनट के मौन द्वारा शोक व्यक्त करने के साथ हुआ।

प्रसिद्ध विस्तार विशेषज्ञ, डॉ. पुरंजन दास, पूर्व उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने अपने व्याख्यान में पिछली सदी में दुनिया भर में कृषि विस्तार प्रणाली में घटित हुए परिवर्तनों के बारे में बताया। डॉ. दास ने बदलते प्रतिमान को ध्यान में रखते हुए विस्तार विशेषज्ञों को सेमिनार द्वारा पुनः इस ओर उन्मुख करने के लिए अटारी, कोलकाता के प्रति गहरी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के दौर में समुदाय-आधारित अनुकूलन तंत्र को मुख्य धारा में लाने पर जोर दिया।

डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने अपने स्वागत संबोधन में अमृत काल के दौरान कृषि-विस्तार की रणनीतियों के बारे में बताया और आशा व्यक्त की कि इन कार्यक्रमों के आयोजनों से विस्तार प्रणाली को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कृषि उत्पादन प्रणाली में विपणन योग्य अधिशेष मुद्दों का समाधान, पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन और किसानों को बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में सहायता करने के लिए विस्तार विशेषज्ञों को प्रेरित किया।

'वन हेल्थ' और विस्तार अनुसंधान में आगे बढ़ने की राह पर भी यहां चर्चा की गई साथ ही प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान भी किया गया।

अटारी कोलकाता के वैज्ञानिकों के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

 (स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)

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