भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर ने जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन
भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर ने जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन

31 जुलाई, 2024, बीकानेर

भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत सिरोही जिला के जनजातीय क्षेत्रों में दो दिवसीय (30- 31 जुलाई) पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर तथा कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा आबुरोड़ सिरोही के जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन   भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा आबुरोड़ सिरोही के जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन

डॉ. आर.के. सावल, निदेशक, एनआरसीसी ने पशु पालकों को संम्बोधित करते हुए बताया कि पशुओं से भरपूर उत्‍पादन लेने हेतु उनके स्‍वास्‍थ्‍य, आहार-पोषण, स्‍वच्‍छ दूध उत्‍पादन, उचित आवास व्‍यवस्‍था तथा विपणन आदि पहलुओं पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस पशु-पालन की उन्नत विधि द्वारा ही पशुधन से आमदनी प्राप्त किया जा सकता है। निदेशक ने कहा कि एनआरसीसी के वैज्ञानिकों द्वारा 25 से अधिक मादा उष्ट्र के दुग्‍ध से निर्मित स्‍वादिष्‍ट उत्‍पाद विकसित किया है। केन्‍द्र व वैश्विक शोध में यह दूध विभिन्‍न मानवीय रोगों, यथा- मधुमेह, टी.बी., ऑटिज्‍म आदि के प्रबंधन में लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा आबुरोड़ सिरोही के जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन   भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा आबुरोड़ सिरोही के जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन

इस दौरान, डॉ. जगदीश प्रसाद बरवड़, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, सिरोही ने क्षेत्र में पशुधन से जुड़ी समस्याओं पर प्रकाश डाला।
श्रीमती बालमी देवी, सरपंच, अचपुरा गाँव, सिरोही ने पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य शिविरों का अधिकाधिक लाभ उठाने की बात कहीं।

संवाद कार्यक्रमों में पशुपालकों ने वैज्ञानिकों के समक्ष पशु व्‍यवसाय संबंधी चुनौतियों एवं जिज्ञासाओं पर खुलकर बातचीत कीं जिनका उचित निराकरण किया गया। केन्‍द्र दल द्वारा पशुपालकों को केन्‍द्र-निर्मित पौष्टिक ‘करभ पशु आहार‘, खनिज लवण युक्‍त ईंटें, खनिज मिश्रण इत्यादि वितरित किए गया। जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षणिक जागृति को दृष्टिगत रखते हुए 236 विद्यार्थियों (113 छात्राएं व 123 छात्र)  को शिक्षा के प्रति प्रोत्‍साहित करते हुए उन्‍हें स्‍कूली किट बैग का वितरण किया गया।

उष्ट्र में सर्रा (तिबरसा) बीमारी के उपचार व रोकथाम हेतु क्‍युनापायरामिन के टीके लगाया गया। साथ ही उष्ट्र में मुमड़ी रोग (कंटेजियस एक्‍थाइमा) का प्रकोप अधिक नोटिश किया गया था जिनके उपचार हेतु एनआरसीसी के वैज्ञानिकों द्वारा संक्रमित उष्ट्र के रक्त, त्‍वचा व मिंगणी आदि के 49 नमूनें प्रयोगशाला अन्‍वेषण हेतु संग्रहित किया।

आबुरोड़ स्थित गांव मोरडु के 142 पशुपालकों  (83 महिला सहित) तथा गांव अचपुरा के 135 पशु पालकों (77 महिलाओं सहित) ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

(भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर)

 

×