मत्स्य विज्ञान प्रभाग के अनुसंधान की प्राथमिकताएं

मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधान कार्यक्रमों को मजबूत, पुनर्गठित, पुनर्उन्मुख तथा प्राथमिकता दी गई है, जिसमें मत्स्य संसाधनों के संरक्षण पर उचित जोर देते हुए संसाधनों के अधिकतम एवं सतत उपयोग के माध्यम से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है, ताकि मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि क्षेत्रों से पूर्ण उत्पादन क्षमता के प्राप्त किया जा सके साथ ही महत्वपूर्ण अनुसंधान अंतराल को भी दूर किया जा सके। अनुसंधान कार्यक्रम में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाने हेतु अनुसंधान कार्यान्वयन, निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र को भी मजबूत किया गया है।

• फिनफिश, क्रस्टेशियन, मोलस्क तथा अन्य महत्वपूर्ण जलीय जीवों के डेटाबेस का विकास और उन्नयन, जिसमें उनके आणविक पहलू भी शामिल है।

• मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि संसाधन प्रबंधन के लिए कंप्यूटर आधारित मॉडल तैयार करने हेतु भू-स्थानिक डेटा तथा रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके देश के संभावित मत्स्य संसाधनों का मानचित्रण करना।

• बदलती संसाधन संरचना और जलवायु परिस्थितियों के संदर्भ में खुले जल मत्स्य संसाधनों के लिए टिकाऊ प्रबंधन मॉडल का विकास।

• वाणिज्यिक एवं संरक्षणात्मक उपयोगों हेतु मीठे पानी, खारे पानी तथा समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों की महत्वपूर्ण प्रजातियों की प्रजनन और बीज उत्पादन प्रौद्योगिकियों का विकास/ उन्नयन।

• मीठे पानी, खारे पानी एवं समुद्री जलीय कृषि के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछली प्रजातियों तथा प्रणाली के विविधीकरण पर जोर।

• जलवायु परिवर्तन, लचीलापन तथा अनुकूलन एवं शमन रणनीतियां।

• चयनात्मक प्रजनन और मार्कर-सहायता प्राप्त चयन के माध्यम से विकास, रोग प्रतिरोध एवं अन्य महत्वपूर्ण लक्षणों के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फिनफि तथा शेलफिश प्रजातियों का आनुवंशिक सुधार।

• मीठे पानी एवं समुद्री मूल की सजावटी पंख वाली मछलियों तथा शंख मछलियों का प्रजनन और पालन।

• सजावटी प्रजातियों सहित विविध मछली एवं शंख प्रजातियों के जीवन के विभिन्न चरणों के लिए लागत प्रभावी तथा पौष्टिक आहार का विकास।

• वर्तमान समय में उभरते रोगों के निदान, टीके तथा रोग प्रबंधन उपायों का विकास।

• रोग प्रकोप के विरुद्ध तैयारी के लिए जलीय पशु रोग निगरानी कार्य पर ध्यान।

• विभिन्न जलीय कृषि प्रणालियों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध की निगरानी।

• संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण तथा ट्रांसक्रिप्टोम विश्लेषण के माध्यम से महत्वपूर्ण मछली एवं शंख प्रजातियों के लिए जीनोमिक संसाधनों का विकास।

• जिम्मेदारी पूर्ण मत्स्य पालन के लिए पर्यावरण अनुकूलता के आधार पर मछली पकड़ने के शिल्प और गियर का विकास।

• मत्स्य उत्पाद के अंतिम चरण में मत्स्य और मत्स्य अपशिष्ट से औद्योगिक/ फार्मास्युटिकल उत्पादों का विकास तथा मूल्य संवर्धन।

• शमन उपायों के माध्यम से मत्स्य उत्पादन तथा अंतिम उत्पाद के बाद होने वाली हानि को कम करना।

• अंतर्देशीय लवणीय एवं सोडिक क्षेत्रों के लिए मत्स्य पालन प्रौद्योगिकी का विकास।

• मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि के विभिन्न पहलुओं में उच्च शिक्षा तथा प्रशिक्षण के माध्यम से मानव संसाधन का विकास।

• मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए नीति एवं परामर्श पर जोर।

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