सतत् खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि जैव-विविधता प्रबंध :
प्रो. एम. एस. स्वामीनाथन
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2010
अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कृषि वैज्ञानिक, नीति नियोजक तथा चिंतक प्रो. एम. एस. स्वामीनाथन ने शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( आईसीएआर ) के स्थापना दिवस पर विषेश व्याख्यान दिया। इस अवसर पर अपने विचारों को प्रकट करते हुए उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए कृषि जैव-विविधता के प्रभावशाली प्रबंध का एक प्रारूप प्रस्तुत किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, आईएआरआई, नई दिल्ली में बिताए गए अपने पूर्व दिनों को याद करते हुए प्रो. स्वामीनाथन ने तकनीकी अनुसंधान से होने वाले महत्वपूर्ण क्रांतिकारी बदलाव की भूमिका पर जोर दिया।
अपने विचारोत्तेजक व्याख्यान में प्रो. स्वामीनाथन ने आह्नान किया कि क्षेत्रीय स्तर पर उपलब्ध जैव-विविधता को स्थानीय लोगों की मदद से उन्हीं के क्षेत्रों मे संरक्षित करने के लिए जागरूकता पैदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय की जैव-विविधता संरक्षण में मदद ऐसे प्रयासों को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने जैव-विविधता संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए जाने पर जोर दिया जिससे लोग भविष्य के लिए आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के प्रति जागरूक हों। उन्होंने कहा कि आईसीएआर के पास स्थानीय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय स्तर पर इस विषय पर कार्य करने की क्षमता एवं दक्षता मौजूद है।
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए जीन बैंक महत्वपूर्ण हैं। अतएव आईसीएआर को देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में जीन बैंक की स्थापना करनी चाहिए। प्रो. स्वामीनाथन ने कृषि जैव-विविधता में मानव संसाधन के संरक्षण की महत्ता को दर्शाते हुए इसके क्रियाकलापों पर जोर दिया और कहा कि कृषि वैज्ञानिक सहभागी अनुसंधान के माध्यम से भारतीय कृषि धरोहर को संरक्षित करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करें।
इससे पूर्व डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) और महानिदेशक, आईसीएआर ने प्रो. स्वामीनाथन का स्वागत और सम्मान किया और उन्हें बधाई देते हुए परिषद के विकास में उनकी मुख्य भूमिका की सराहना की। उन्होंने परिषद की ओर से उनके आने वाले 85वें जन्मदिवस की भी शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर श्री राजीव महर्षि, अतिरिक्त सचिव, डेयर और सचिव, आईसीएआर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोत: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबलाइजेशन, दीपा)
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