14 दिसम्बर, 2023, बीकानेर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर एवं जैव विविधता बोर्ड, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज को एनआरसीसी में ‘बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन, इट्स सस्टेनेबल यूज एण्ड फेयर एण्ड एक्विटेबल शेयरिंग‘ विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आज आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, श्री हनुमान राम, संभागीय मुख्य वन संरक्षक, बीकानेर ने कहा कि जैव विविधता के तहत बदलते परिवेश में कई प्रजातियों एवं प्राकृतिक संसाधनों आदि के विलुप्तीकरण (विनाश) को रोकने हेतु एक सोच विकसित करना होगा। उन्होंने कहा हम भाग्यशाली हैं कि हमारा देश जैव विविधता की दृष्टि से एक परिपूर्ण राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि इस धरा पर कोई भी पशु अथवा पौधा व्यर्थ नहीं है बशर्ते उसका सकारात्मक उपयोग खोजा जाए। मुख्य अतिथि ने उष्ट्र प्रजाति के संरक्षण एवं विकास हेतु एनआरसीसी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक (एनआरसीसी) एवं इस कार्यक्रम के अध्यक्ष ने पशु प्रजातियों यथा- उष्ट्र, चिंकारा, टाईगर आदि की जैव विविधता को पहचानते हुए इनके बढ़ावे पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि उष्ट्र ‘औषधि का भण्डार’ है, अत: आवश्यकता इस बात की है कि इस प्रजाति की उपयोगिता को पहचाना जाए। डॉ. साहू ने आवश्यकता के अनुरूप प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर पृथ्वी को बचाने की बात की।

विशिष्ट अतिथि, डॉ. शरत बाबू, उप वन संरक्षक, बीकानेर ने प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग हेतु स्थानीय लोगों की सहभागिता की आवश्यकता जताई।
विशिष्ट अतिथि, श्री मदन सिंह चारण, डीएफओ (आईजीएनपी) ने जैव विविधता के संरक्षण एवं इसकी उपयोगिता से जुड़े अभियान को सफल बनाने के लिए ग्राम पंचायत, जिला स्तर पर कार्य करने एवं इस हेतु ग्रामीणों को परंपरागत घासों आदि विविध पहलुओं की जानकारी होने को महत्वपूर्ण बताया।
संदीप कुमार छलानी, डीएफओ (वाइल्ड लाइफ) ने कहा कि जैव विविधता एक व्यापक अवधारणा है तथा राजस्थान में भौगोलिक, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं के रहते जैव विविधता के संरक्षण की महत्ती आवश्यकता है यद्यपि इस दिशा में सतत रूप से प्रयास जारी हैं ।
तकनीकी सत्र में ‘रोल ऑफ टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप एट डिस्ट्रिक्ट लेवल' एवं कंर्जवेशन ऑफ बायोडायवर्सिटी, इट्स सस्टेनेबल यूज एण्ड फेयर एण्ड एक्विटेबल बेनिफिट शेयरिंग’ विषय पर व्याख्यान भी प्रस्तुत किया गया।
जैव विविधता बोर्ड, एनआरसीसी, वन विभाग, पशुपालन विभाग, राजुवास आदि से आए 70 से अधिक पदाधिकारियों, अनुसंधानकर्ताओं तथा स्टैक होल्डर्स ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से सहभागिता की।
(स्रोतः भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर)
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