13 अक्टूबर, 2023, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता ने आज “अनुकूल भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन संबंधी आपदा न्यूनीकरण और असमानता से लड़ाई” पर एक संवादात्मक बैठक का हाइब्रिड मोड में आयोजन किया।
जोखिम के प्रति जागरूकता और आपदाओं पर लगाम लगाने की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा हर वर्ष 13 अक्टूबर को दुनिया भर में इस दिवस के माध्यम से जनमानस को जागरूकता करता है। यह दिवस, इस बात की याद दिलाता है कि आपदा जोखिम को कम करने के लिए, क्या किया जाना अभी बाकी है?
डॉ. राजोर्शी रॉय बर्मन, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनप ने इस मौके पर शून्य प्रौद्योगिकी अंतर हासिल करने की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने सिद्ध प्रौद्योगिकी के क्षैतिज प्रसार के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन संबंधी बदलते प्रतिमान को ध्यान में रखते हुए ऐसे बैठक आयोजित करने के लिए अटारी, कोलकाता के प्रति गहरी संतुष्टि व्यक्त की।
संस्थान के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस "अनुकूल भविष्य के लिए असमानता से लड़ना" थीम के साथ आपदाओं और असमानता के बीच पारस्परिक संबंध पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदा कैसे असमानता पैदा करती है साथ ही यह समस्या एक वृहद आबादी को गरीबी के दायरे में समेट लेती हैं? डॉ. डे ने बताया कि अटारी के माध्यम से मुख्य रूप से जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) और दक्षिण एशिया के लिए अनाज प्रणाली पहल (सीएसआईएसए) परियोजनाओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने का प्रयास है।
डॉ. एस.के. रे, प्रधान वैज्ञानिक और पूर्व प्रमुख, एनबीएसएसएलयूपी क्षेत्रीय केन्द्र, कोलकाता ने आपदा जोखिम से निपटने में स्वदेशी ज्ञान के महत्व के बारे में बताया।
बैठक में संस्थान प्रबंधन समिति के सदस्य, सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों तथा परियोजना कर्मचारियों ने भाग लिया। डॉ. अभिजीत हालदार, प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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