आत्मनिर्भर भारत किसी भी स्तर पर वैश्वीकरण का विरोधी नहीं होगा: श्री हृदय नारायण दीक्षित

आत्मनिर्भर भारत किसी भी स्तर पर वैश्वीकरण का विरोधी नहीं होगा: श्री हृदय नारायण दीक्षित

आत्मनिर्भर भारतः लोकल के लिए वोकल’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

16-17 मार्च, 2021,

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली तथा भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्त्वाधान में ‘आत्मनिर्भर भारतः लोकल के लिए वोकल’ विषय पर 16 से 17 मार्च, 2021 तक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।   

श्री हृदय नारायण दीक्षित, विधान सभा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ने बतौर मुख्य अतिथि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उद्धरण देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत किसी भी स्तर पर वैश्वीकरण का विरोधी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता से सिर्फ देश ही संपन्न नहीं होगा, बल्कि पूरी दुनिया इससे लाभान्वित होगी।

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डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि प्रसार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में हुई क्रांतियों की चर्चा की तथा इंद्रधनुषीय क्रांति एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए टिकाऊ खेती की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने हेतु स्वयं सहायता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों और प्रवासी मजदूरों के कौशल बढ़ाने संबंधी प्रशिक्षण की महत्ता पर प्रकाश डाला।

आत्मनिर्भर भारत किसी भी स्तर पर वैश्वीकरण का विरोधी नहीं होगा: श्री हृदय नारायण दीक्षित

डॉ. अश्विनी दत्त पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने गन्ना एवं चीनी क्षेत्र में संस्थान की उपलब्धियों को रेखांकित किया।

डॉ. अजय कुमार साह, आयोजन सचिव, राष्ट्रीय संगोष्ठी ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए चार उप-विषयों के अंतर्गत आत्मनिर्भरता से संबंधित विशिष्ट विषयों पर प्रकाश डाला।

इस संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्रों में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, गन्ना एवं चीनी उद्योग, दलहन एवं तिलहन क्षेत्र, पशुपालन, प्रकृति व खेती, स्वदेशी सूचना प्रौद्योगिकी, सुरक्षा बल, भारतीय रेल, प्रवासी मजदूर एवं युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं के लिए आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।

श्री अभिषेक कुमार सिंह, हिंदी अधिकारी एवं संगोष्ठी के समन्वयक ने गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों तथा संस्थाओं से 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

(स्त्रोत: भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)

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