7 – 9 जुलाई, 2022, आणंद, गुजरात
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र और आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आणंद, गुजरात द्वारा एएयू, आणंद में 9 जुलाई 2022 संयुक्त रूप से "महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के जोन - VIII के केवीके" पर वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।


कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने दलहन एवं तिलहन सहित देश में फसल उत्पादन परिदृश्य पर प्रकाश डाला। डीडीजी ने देश में उनके उत्पादन/उत्पादकता को बढ़ाने के लिए हर तरह से प्रयास करने पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने दलहन उत्पादन में स्थिरता, रोपण सामग्री की गुणवत्ता, प्राकृतिक/जैविक खेती के मॉडल, सटीक खेती, एकीकृत कृषि पद्धतियां एवं कृषि स्टार्ट-अप के व्यापक रूप से अपनाने के लिए इन प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन सहित विविध विषयों पर भी जोर दिया।
डॉ. के.बी. कथिरिया, कुलपति, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आणंद, गुजरात ने कृषि की प्रगति में कृषि विज्ञान केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
डॉ. एन.के. गोंटिया, कुलपति, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़, गुजरात ने भारत द्वारा खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को फलीभूत करने पर समीक्षा बैठक के महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. आर.एम. चौहान, कुलपति, सरदारकृषिनगर दंतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, सरदारकृषिनगर, गुजरात ने भोजन और चारा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बाजरा की भूमिका पर प्रकाश डाला और एकीकृत फसल / कृषि प्रणाली और महिला सशक्तिकरण को अपनाने की सिफारिश की।
डॉ. जेड.पी. पटेल, कुलपति, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी, गुजरात ने आत्मनिर्भरता में सामाजिक विज्ञान और केवीके के प्रभावों पर जोर दिया।
श्री एच एच अदृश्य कदसिद्धेश्वर स्वामीजी, अध्यक्ष, कनेरी मठ, कोल्हापुर, महाराष्ट्र ने जनसंख्या विस्फोट को ध्यान में रखते हुए उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया। उनके द्वारा जैव विविधता, मृदा स्वास्थ्य, रोजगार सृजन और खाद्यान्नों एवं अन्य वस्तुओं के सुरक्षित भंडारण को बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़, गुजरात)
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