भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (भासोअनुसं), इंदौर, मध्य प्रदेश ने आज सोया किसानों के लिए "आभासी वैज्ञानिक-किसान-संवादात्मक सत्र" का आयोजन किया। इस सत्र का आयोजन आत्मा परियोजना, कृषि विभाग, जिला इंदौर, सोलिदारीदाद भोपाल और आईटीसी लिमिटेड, मध्य प्रदेश के सहयोग से किया गया।


डॉ. डी. बिलोर, प्रभारी निदेशक, भाकृअनुप-भासोअनुसं, इंदौर ने कहा कि इस वर्ष बुवाई लंबे समय तक की गई है, जिसके कारण कीट और बीमारियों की समस्या अधिक समय तक बनी रहने के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त करती है।
डॉ. बी.यू. डूपारे, प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप-भासोअनुसं, इंदौर ने अलग-अलग रोपण तिथियों के कारण लंबी अवधि में अपेक्षित घटनाओं और विभिन्न कीड़ों से बचाव के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे जीवन चक्रों में बढ़ोत्तरी के कारण उपज में कमी और लागत में वृद्धि हुई।
डॉ. आर.के. वर्मा, वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान), भाकृअनुप-भासोअनुसं, इंदौर ने खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के 15 से 20 दिनों के बाद अनुशंसित शाकनाशियों सहित खरपतवार प्रबंधन के विभिन्न तरीकों के बारे में चर्चा की। उन्होंने चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए इमाज़थापायर @ 1 लीटर / हेक्टेयर और इमाज़ेथापायर + इमाज़मैक्स 100 ग्राम / हेक्टेयर के उपयोग का सुझाव दिया।
इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों के 2,000 से अधिक सोया उत्पादकों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर, मध्य प्रदेश)
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