1 सितम्बर, 2022
भाकृअनुप-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च, इंदौर ने कृषि विज्ञान केन्द्र, कस्तूरबा ग्राम, इंदौर के सहयोग से कृषक समुदाय के बीच "पौधे की किस्मों और किसानों के अधिकार और संरक्षण अधिनियम 2001" पर जागरूकता फैलाने के लिए एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पूरे देश के किसान ने भाग लिया तथा इससे लाभान्वित हुए।


डॉ. दिनेश कुमार अग्रवाल, रजिस्ट्रार जनरल, पौधा किस्म और किसान अधिकार प्राधिकरण ने अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थिति दर्ज कराई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि किसान पारंपरिक किस्मों के साथ-साथ उनके द्वारा विकसित किस्मों को भी पंजीकृत करा सकते हैं ताकि उनके अधिकारों की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि पीपीवी और एफआरए किसानों को शून्य लागत पर अपनी किस्मों को पंजीकृत करने की अनुमति देता है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्राप्त 17000 से अधिक आवेदनों में से 11000 आवेदन किसानों द्वारा विकसित किस्मों के संरक्षण के लिए थे और लगभग 200 किसानों को पीपीवी और एफआरए द्वारा संरक्षित किया गया था।
डॉ. नीता खांडेकर, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर संस्थान ने सत्र की अध्यक्षता की।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर)
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