भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान, चेन्नई ने 5 से 9 सितंबर, 2022 के दौरान अपने मुख्यालय चेन्नई में दो प्रशिक्षण कार्यक्रम, 1-7 सितंबर, 2022 के दौरान अपने काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र पश्चिम बंगाल में क्रमशः 'बीज उत्पादन और खारे पानी की फिनफिश की खेती' पर आयोजित किए। प्रशिक्षण में मत्स्य पालक किसानों, स्टार्ट-अप उद्यमियों, राज्य मत्स्य विभाग के अधिकारियों और जलीय कृषि सलाहकारों सहित बीस प्रतिभागियों ने शिरकत की।


प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में, डॉ. के.पी. जितेन्द्रन, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा ने खारे पानी के जलीय कृषि क्षेत्र में स्थिरता प्राप्त करने के लिए प्रजातियों के विविधीकरण और स्थान विशिष्ट कृषि प्रणालियों के महत्व के बारे में बताया।

डॉ. एम. कैलासम, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी वैज्ञानिक, मत्स्य पालन प्रभाग ने बताया कि कौशल विकास के दौरान कवर किए गए विषयों में ब्रूड स्टॉक विकास, प्रेरित प्रजनन, लार्वा रेयरिंग, लाइव फीड कल्चर, नर्सरी पालन, ग्रो आउट कल्चर सिस्टम, मछली स्वास्थ्य प्रबंधन, मछली का पोषण एवं फीड विकास तथा फिनफिश उम्मीदवार प्रजातियों जैसे सीबास, मिल्क फिश, ग्रे मुलेट तथा सजावटी मछलियों शामिल हैं।
प्रशिक्षुओं को समुद्री बास मछली नर्सरी पालन और सजावटी मछली हैचरी क्षेत्र में भ्रमण के लिए ले जाया गया और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए इन कृषि प्रणालियों को संचालित करने वाली महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की गई।
अपनी समापन टिप्पणी में, निदेशक ने कहा कि देश में बीज उत्पादन और मत्स्य पालन को बढ़ाने के लिए प्रगतिशील किसानों, राज्य विभागों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा संभावित किसानों और युवाओं की सहायता की आवश्यकता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान, चेन्नई)
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