20 सितम्बर, 2022, हैदराबाद
अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान तथा भाकृअनुप-पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद ने "खाद्य तथा पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पोल्ट्री में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण" पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन आज भाकृअनुप-डीपीआर में किया।


मुख्य अतिथि, डॉ भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) ने आईएलआरआई और भाकृअनुप के बीच गठबंधन और विभिन्न सहयोगी परियोजनाओं में हुई प्रगति की सराहना की। उन्होंने इस स्तर पर एनएआरएस प्रणाली के युवा संकाय सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए टीम की सराहना की, जहां मिशन मोड में देश के पशुधन और पॉल्ट्री के लक्षणों का विश्लेषण किया जाता है। डॉ. त्रिपाठी ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम में प्राप्त अपने ज्ञान का उपयोग करें और विभिन्न आर्थिक विकास के लिए पशुधन और कुक्कुट के लक्षण विश्लेषण और आनुवंशिक सुधार के लिए विभिन्न जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों अधिक से अधिक उपयोग करें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फैकल्टी को अपने शोध और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए बाहरी फंडिंग का प्रस्ताव देना चाहिए। डॉ. त्रिपाठी ने उद्योग और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ बहु-विषयक परियोजनाएं तैयार करने का आग्रह किया।


डॉ. एच. रहमान, आईएलआरआई के क्षेत्रीय प्रतिनिधि, दक्षिण एशिया ने अपने संबोधन में आईएलआरआई और भाकृअनुप के बीच दीर्घकालिक संबन्ध और दोनों संगठनों को इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों से अधिक सक्रिय होने और जितना संभव हो सीखने तथा इस उन्नत जैव प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम से लाभ उठाने का आग्रह किया। डॉ. रहमान ने भारतीय और अफ्रीकी देशों के बीच जननद्रव्य के आदान-प्रदान का भी सुझाव दिया क्योंकि दोनों देशों में समान कृषि-जलवायु क्षेत्र हैं।
डॉ. ओलिवियर एच, मुख्य आनुवंशिकीविद्, आईएलआरआई (ILRI) ने पशुधन पालन पैटर्न, नस्ल विशेषताओं और पारिस्थितिक इलाकों में भारत और अफ्रीका के बीच समानता का वर्णन किया। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रसार और आनुवंशिक संसाधनों को साझा करने के लिए दोनों संगठनों के बीच पोल्ट्री क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने का भी आग्रह किया।
इससे पूर्व, डॉ. आर.एन. चटर्जी, निदेशक, डीपीआर ने संस्थान द्वारा किए जा रहे विभिन्न अनुसंधान, विस्तार तथा क्षमता निर्माण गतिविधियों के बारे में जानकारी दी, उन्होंने कहा कि विभिन्न दिशाओं में काम करने से बेहतर रिटर्न नहीं मिलेगा, इसलिए वैश्विक स्तर पर सहयोग एवं सामान्य चुनौतियों से समाधान प्राप्त करना समय की मांग है। डॉ. चटर्जी ने कहा कि पशुधन तथा कुक्कुट की उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण एक नए प्रतिमान हैं, क्योंकि पारंपरिक प्रजनन दृष्टिकोण लगभग एक ऊंचाई को प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने युवा प्रतिभाओं से इस अवसर का बेहतर लाभ प्राप्त करने का आग्रह भी किया।
डॉ. टी.के. भट्टाचार्य कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान शामिल की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की एक झलक प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को प्रयोगशाला तकनीक सीखने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण पर अधिक जोर दिया गया है।
10 एसएयू, 13 विभिन्न राज्यों से संबंधित 5 भाकृअनुप संस्थानों के कुल 20 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया.
कार्यक्रम में आईएलआरआई, नई दिल्ली, हैदराबाद के अधिकारियों और निदेशालय के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने भी शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद)
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