"भेड़ उद्यमों के लिए कृषि व्यवसाय उद्भवन और प्लास्टिक के स्थान पर प्राकृतिक रेशों के उपयोग" पर कार्यशाला आयोजित

"भेड़ उद्यमों के लिए कृषि व्यवसाय उद्भवन और प्लास्टिक के स्थान पर प्राकृतिक रेशों के उपयोग" पर कार्यशाला आयोजित

30 सितम्बर, 2022, अविकानगर

भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर में "भेड़ उद्यमों के लिए कृषि व्यवसाय ऊष्मायन और प्लास्टिक के स्थान पर प्राकृतिक रेशों का उपयोग" पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोलकाता, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर, प्लास्टिक के विकल्प के रूप में ऊन और जूट जैसे फाइबर के उपयोग पर जोर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अविकानगर संस्थान के निदेशक, डॉ अरुण कुमार तोमर ने वर्तमान परिदृश्य में भेड़ और बकरी आधारित व्यवसायों की उपयोगिता और क्षमता के विकास पर प्रकाश डाला।

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संस्थान के एग्रीबिजनेस फोस्टरिंग सेंटर से जुड़े देश भर के 50 से अधिक उद्यमियों ने कार्यशाला में भाग लिया और अपनी उद्यमिता की विकास यात्रा में योगदान के लिए, संस्थान को धन्यवाद दिया। अतिथियों एवं उद्यमियों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में संस्थान के सहयोग से विकसित ऊनी सैपलिंग बैग की सराहना की।

कार्यशाला में, संस्थान में नवीन रूप से शामिल हुए 5 व्यावसायिक संस्थानों और उद्यमियों ने आपसी सहयोग के लिए भाकृअनुप-सीएसडब्ल्यूआरआई अविकानगर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

डॉ. विक्रम सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों में कृषि व्यवसाय पोषण कार्यक्रम के समन्वयक, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

श्री संतोष महात्मे, सलाहकार, भदपाल शेतकरी (किसान) उत्पादक संगठन, महाराष्ट्र ने भेड़ पालन और पोषण प्रौद्योगिकियों में तकनीकी सहयोग को बढ़ाने के लिए संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

श्री धरमपाल गढ़वाल, अमलान ऑर्गेनिक, राजस्थान ने स्वदेशी ऊनी शॉल ब्रांडिंग और इसके व्यवसायीकरण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

कोलकाता और अविकानगर संस्थान के विषय विशेषज्ञों ने एकल उपयोग प्लास्टिक के विकल्प के रूप में प्राकृतिक रेशों विशेष रूप से जूट और ऊन के उपयोग पर किए गए शोध और इसके आधार पर विकसित उत्पादों पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव, डॉ. विनोद कदम ने तकनीकी सहायता और संस्थान द्वारा मजबूत सहयोग के माध्यम से युवा उद्यमियों के उत्थान में एबीआई केन्द्र के महत्व पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर भाकृअनुप-सीएसडब्ल्यूआरआई के सभी वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों के साथ-साथ छात्रों और आसपास के प्रगतिशील किसानों की भागीदारी सौ के करीब रही।

(स्रोत: एकेएमयू, भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, राजस्थान)

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