7 अक्टूबर, 2022
भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद ने धोराजी में अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, पिपलिया, राजकोट गुजरात के सहयोग से एससीएसपी के तहत "ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए पर्यावरण-अनुकूल बैग निर्माण" पर पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 3 - 7 अक्टूबर, 2022 के दौरान किया।

डॉ. चेरूकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-नार्म ने अपने समापन संबोधन में प्लास्टिक के उपयोग और पर्यावरण प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी दी। डॉ. राव ने प्लास्टिक बैग के व्यवहार्य विकल्प के रूप में पर्यावरण के अनुकूल बैग के उपयोग के महत्व और आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों से अपनी आय बढ़ाने के लिए कौशल-प्रशिक्षण कार्यक्रम का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रतिभागियों को समूह बनाने और अपनी आजीविका के सतत विकास के लिए पर्यावरण के अनुकूल बैग बनाने का अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. एच.सी. छोड़वाड़िया, एडीईई, जेएयू जूनागढ़ ने प्लास्टिक की थैलियों के जगह पर पर्यावरण के अनुकूल बैग के उपयोग के महत्व और लाभों पर जोर दिया।
इससे पहले, डॉ. एम. बालकृष्णन, प्रधान वैज्ञानिक और अध्यक्ष, उप-योजना समिति, भाकृअनुप-एनएएआरएम ने अपने उद्घाटन संबोधन के दौरान लाभार्थियों को एससी सब प्लान कार्यक्रम और इसके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी दी।
समापन कार्यक्रम में, पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों द्वारा डिजाइन और सिलाई किए गए विभिन्न बैगों का प्रदर्शन किया गया और बैग बनाने के लिए इनपुट सामग्री प्रतिभागियों को वितरित की गई।
इस प्रशिक्षण में धोराजी तालुका के विभिन्न गांवों जैसे भोलगामदा, सुपेड़ी, मोती-पराबड़ी, पिपलिया और धोराजी की 50 ग्रामीण महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
अधिकांश महिला प्रतिभागी दिहाड़ी मजदूर थीं और इसलिए कौशल विकास के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना आवश्यक था।
प्रतिभागियों को जूट और कपड़े जैसी सामग्री का उपयोग करके बैग सिलाई के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ बैग बनाने का उद्यम शुरू करने के लिए एक व्यवसाय योजना के आधार पर प्रशिक्षित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों ने 15 विभिन्न प्रकार एवं विभिन्न आकार के बैग की सिलाई और डिजाइनिंग में तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यक्रम का समन्वय, डॉ ममता कुमारी, वैज्ञानिक, केवीके, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, पिपलिया, राजकोट, गुजरात द्वारा किया गया था।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)
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