भाकृअनुप की तकनीकों से पारस्परिक लाभ प्राप्त करते हुए कृषि क्षेत्र सहित देश को लाभ दिलाना उद्देश्य - केन्द्रीय कृषि मंत्री
6 मार्च, 2023, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) एवं इसके तहत आने वाले कृषि विश्वविद्यालयों तथा उद्योगों का सम्मेलन आज दिल्ली में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा श्री कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भी शामिल हुए। इस सम्मेलन के माध्यम से भाकृअनुप का उद्देश्य उद्योग, अनुसंधान एवं शिक्षा जगत के उन संगठनों के साथ काम करना है, जिनकी भाकृअनुप की तकनीकों में रूचि है, ताकि पारस्परिक गठजोड़ से लाभ प्राप्त करने के साथ-साथ दीर्घकाल में वृहत पैमाने पर कृषि क्षेत्र एवं राष्ट्र को फायदा मिल सके। आज भाकृअनुप से सम्बद्ध 100 से ज्यादा संस्थानों और 73 कृषि विश्वविद्यालय भी हैं, जिनके पास सुसज्जित अनुसंधान/ विकास सुविधाएं, प्रयोगशालाएं/ बुनियादी ढांचा सहित विभिन्न कृषि संबन्धित सुविधाएं उपलब्ध है, जिसका परस्पर उपयोग सार्वजनिक विकास के लिए किया जा सकता है।
सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री, श्री तोमर ने कहा कि भाकृअनुप के अनुसंधान का उपयोग उद्योग जगत कैसे करे, एक-दूसरे से पूरक बनकर इसे कैसे आगे बढ़ाए, जमीनी स्तर पर काम करने वाली उद्योग क्या चाहती है, इसका अगर फीडबैक मिले तो काम को और बेहतर तरीके से किया जा सकता है। हमारे कृषि उत्पादों की अहमियत दुनिया में बढ़ी है। हमारे उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहे, यह जिम्मेदारी सबकी है। इस क्षेत्र में जो कमियां एवं खाई है उन्हें पाटने की जरूरत है, साथ ही विद्यमान अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करते हुए इस बात पर विचार करना है कि भारत कृषि क्षेत्र में श्रेष्ठता कैसे हासिल कर सकता है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि किसान से लेकर उद्योग जगत सभी को मिलकर काम करना चाहिए, जिससे अमृत काल को ध्यान में रखकर ऐसे विमर्श की महत्ता और बढ़ जाती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया की अपेक्षाओं को भारत द्वारा पूरा करने की दिशा में हमारी सोच होनी चाहिए। अब दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य पर भारत की बढ़ती हुई महत्ता को प्रतिष्ठापित करने और मजबूत करने के साथ ही सरकार ने वर्ष 2047 (अमृत काल) तक भारत को विकसित देश के रूप में खड़ा करने का लक्ष्य रखा है इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए हमारे विमर्श को अधिक व्यापकता एवं सार्थकता होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में स्वयं भी सोचते है और दूसरे भी इस दिशा में उन्मुख हो, यह उनका आग्रह रहता है। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य में भारत के बारे में राय तेजी से बदल रही है, इसे और गति मिले जिससे बदलाव स्थापित हों।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत ने काफी प्रगति की है, लेकिन अभी बहुत सारी चुनौतियां कृषि के समक्ष है, जिनकी पहचान करते हुए उनके समाधान की दिशा में काम करना एवं कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को और बल देने वाला बनें, इस दिशा में ज्यादा विमर्श होना चाहिए। अब परंपरागत कृषि से आगे बढ़कर, लैब टू लैंड तक तकनीक का पूरा उपयोग करते हुए योजनाबद्ध ढंग से काम करने की जरूरत है। भाकृअनुप से जुड़े वैज्ञानिकों ने काफी उल्लेखनीय अनुसंधान किए हैं, जो आज देश-दुनिया के काम आ रहे हैं। एक समय था जब हम दुनिया से सीखना चाहते थे लेकिन आज कृषि क्षेत्र में दुनिया भारत से सीखना चाहती है। आगे उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छा आदान तथा तकनीक का लाभ मिले, उत्पाद गुणवत्तापूर्ण हो, फसलोपरांत नुकसान कम हो, कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़े, इस दिशा में और तेजी से काम करने की जरूरत है। यद्यपि इन सभी को लेकर भारत सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है, जिसके सद्परिणाम भी सबके सामने आ रहे हैं। हम सब जानते हैं कि किसान, उनका उत्पादन, उसके साथ अनुसंधान व तकनीक, साथ में उद्योग जगत, ये सब आपस में जुड़ें तो इससे अर्थव्यवस्था बलवती होती है साथ ही किसान को अपने उत्पादन का वाजिब दाम भी मिलता है, यह सुनिश्चित करने की स्थिति बनती है, इस पूरी प्रक्रिया में उद्योग जगत का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी ने इस सम्मेलन में कहा कि कृषि उत्पाद के मूल्य संवर्धन से कृषक और उद्योग के साथ-साथ निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भाकृअनुप – उद्योग हितधारक परामर्श बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कृषि को आगे ले जाने के लिए चार स्तंभ – किसान, विज्ञान, उद्योग एवं नीति को मजबूत करना होगा।
इस सम्मेलन के समन्वयक भाकृअनुप की वाणिज्यिक शाखा एग्रीनोवेट इंडिया लि. के सीईओ, डॉ. प्रवीण मलिक सहित उद्योग जगत के प्रतिनिधि, श्री हेमेंद्र माथुर तथा श्री सलिल सिंघल ने भी अपने विचार रखे।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, पूसा, नई दिल्ली)
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