22 दिसम्बर, 2022, वाराणसी
भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन, मुख्य अतिथि, श्री सूर्य प्रताप शाही, मंत्री, कृषि तथा कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, उत्तर प्रदेश सरकार की उपस्थिति में किया गया। श्री शाही ने अपने संबोधन में सब्जियों तथा फलों का देश के खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में इसके योगदान को बताया। उन्होंने कहा कि संस्थान के शोध परिणामों के उपयोग से उत्तर प्रदेश सब्जी उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर रहा है। इस प्रकार, सब्जियों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुये विगत वर्षों में सब्जियों का 11 हजार करोड़ रूपये का निर्यात किया भी गया। अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) द्वारा विगत 50 वर्षों में 500 से अधिक किस्में विकसित की गयी है। साथ ही एपीडा के सहयोग तथा एफ.पी.ओ. के माध्यम से कोरोना काल में 3500 मीट्रिक टन सब्जियों का निर्यात किया गया। मंत्री ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जैविक जीवनाशी के विकास के लिए संस्थान को 1.5 करोड़ रूपये की सहायता दी गयी है। साथ ही उत्तर प्रदेश में कुल 89 कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों को प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर उनकी आय में वृद्धि करने का प्रयास किया जा रहा है।


इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि, डॉ. पंजाब सिंह, कुलाधिपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी ने बताया की हमारा देश 342 मिलियन टन औद्योगिक उत्पादन के साथ चीन के बाद दूसरे स्थान पर है जिसमें सब्जियों का उत्पादन 60 प्रतिशत है।
डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (उद्यान विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंघान परिषद, नई दिल्ली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भारत में सब्जी उत्पादन बढ़ाने में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के योगदान सराहना की। उन्होने बताया कि विगत 50 वर्षों में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) के द्वारा 500 से अधिक किस्में तथा 400 से अधिक सब्जी उत्पादन की तकनीक विकसित की गयी है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) से जुड़े वैज्ञानिकों, डॉ. कीर्ति सिंह, डॉ. विष्णु स्वरूप, डॉ. गौतम कल्लू को सम्मानित किया गया।
संस्थान के निदेशक, डॉ. तुषार कांति बेहेरा ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए किसानों की आवश्यकता के अनुरूप शोध करने का आश्वासन दिया।
यहां तकनीकी सत्र भी आयोजित किये गए। इसके साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से जुड़े विभिन्न संस्थानों, राज्य विश्वविद्यालयों, निजी कम्पनियों के 200 से अधिक वैज्ञानिक, छात्र एवं 300 से अधिक किसान सम्मिलित हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, उ. प्रदेश)
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