8 मई, 2023, झांसी
केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी ने आज अपना 36वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी, प्रो. ए.के. सिंह ने कहा कि कृषि वानिकी आदर्श गांव आज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पेड़ों की कमी महसूस हो रही है। अतः कृषि वानिकी आधारित कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाने की आवश्यकता है। प्रो. सिंह ने कहा कि कृषकों को कृषि वानिकी की जानकारियां समय पर देने की आवश्यकता है तथा सजावटी पौधों के साथ-साथ बडे वृक्ष भी लगाना जरूरी है जो पर्यावरण सन्तुलन बनाये रखने में योगदान करते हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, डॉ. आर.बी. सिन्हा, आईएफएस, वरिष्ठ नीति सलाहकार, एफएओ कार्यालय, नई दिल्ली ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पेड़ लगाने के बाद किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो। साथ में इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है कि किसानों को कौन सा पौधा लगाना है तथा उसके लिये बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित हो, जिससे किसान भाई कृषि वानिकी पद्धतियां आसानी से अपना सकें।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि, डॉ. फ्रेन्किलिन एल. खोबुंग, संयुक्त सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्रालय, भारत सरकार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का सामना एवं समाधान कृषि वानिकी द्वारा सम्भव है। उन्होंने कृषि वानिकी संस्थान द्वारा किसानों के लिये गुणवत्ता युक्त पौध प्रदान करने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने में कृषिवानिकी का महत्वपूर्ण योगदान है। संयुक्त सचिव ने कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्रालय, भारत सरकार का पत्र संस्थान के निदेशक को सौंपा। जिसमें कृषि वानिकी संस्थान को गुणवत्तायुक्त पौध के लिये राष्ट्रीय नोडल एजेन्सी, कृषि वानिकी सूचनाओं का राष्ट्रीय रिपोज़िट्री एवं राज्य सरकारों के लिये तकनीकि सहायता प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय संस्थान का दर्जा दिया गया है।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि भाकृअनुप के सहायक महानिदेशक, डॉ. राजवीर सिंह ने कहा कि कृषि वानिकी की भविष्य की डगर ऐसी हो जिसमें विकास के लिए विभिन्न विभागों का एकीकृत रूप में काम करने की जरूरत है तभी परिणाम अच्छे आयेंगे। इस प्रकार कृषि, वन एवं पशुपालन विभाग को एकीकृत रूप में कार्य करने की जरूरत है।
संस्थान के निदेशक, डॉ. ए. अरूणाचलम ने पावर प्वाइन्ट प्रजेन्टेशन के द्वारा संस्थान की अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं प्रसार गतिविधियों की 35 वर्ष की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि बुन्देली धरती को हरा-भरा रखने में कृषि वानिकी का अहम योगदान है। उन्होंने आह्वान किया कि बुन्देलखण्ड के हर निवासी को अपने खेत, बांध, तालाब इत्यादि का ध्यान रखना होगा। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि अपने जीवन व दिनचर्या को ऐसा बनायें कि प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण न हो, कार्बन का उत्सर्जन कम हो तथा जलवायु के बदलते परिवेश में उन्नत तकनीकी का प्रयोग कर जलवायु के कुप्रभावों को दूर करें। उन्होंने संस्थान में चल रहे विभिन्न प्रकार के शोध कार्यों के बारे में भी चर्चा की।
इस अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाषित प्रसार बुलेटिन, सफलता की कहानियां, कृषि वानिकी तकनीकियां तथा स्ट्राबेरी बुकलेट इत्यादि का विमोचन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया तथा खेलकूद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सर्टिफिकेट एवं मैडल प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ. वी.पी. सिंह, डॉ. बेहरा, डॉ. डोबरियाल, डॉ. निषिराय, डॉ. पुरुषोत्तम शर्मा, डॉ. ए.के. सिंह, डॉ. राजन, श्री विनीत निगम तथा कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के डीन एवं डायरेक्टर, ग्रासलैंड के विभागाध्यक्ष, दतिया अनुसंधान केन्द्र अध्यक्ष एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी गण एवं बुन्देलखण्ड के विभिन्न जनपदों से 35 कृषक एवं महिलाएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आर.पी. द्विवेदी एवं आभार डॉ. ए.के. हाण्डा ने प्रस्तुत किया।
(स्रोतः केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी)
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