15 मार्च, 2023, बैरकपुर
भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तरदेशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सिफरी) ने आज वेस्ट टू वेल्थ उत्पादों पर एक दिवसीय इंस्टीट्यूट इंडस्ट्री इंटरफेस मीट का आयोजन किया।
बैठक का उद्घाटन, डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी और डॉ. के. सत्यनारायण निदेशक, सीएसबी- केन्द्रीय तसर सिल्क अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची और उद्योग प्रतिनिधि शामिल थे।
डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी ने अपने उद्घाटन संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारत अंतर्देशीय मात्स्यिकी का सबसे बड़ा उत्पादक है। हाल के दिनों में अंतर्देशीय जल से मछली उत्पादन में तेजी से वृद्धि (10.14%) हुई है। मछली उत्पादन के बढ़ते चलन ने अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में मछली फ़ीड की बड़ी मांग पैदा की है। संस्थान दशकों से गैर-पारंपरिक, कृषि-औद्योगिक कचरे और कीट-आधारित भोजन से मछली फ़ीड विकसित करने के लिए अपशिष्ट से धन दृष्टिकोण सृजन के मंत्र का पालन कर रहा है।
संस्थान ने सिफरी केजग्रो और बीएसएफ फ्लोटिंग फिश फीड का विकास किया है, जो ब्रूअरी उद्योग और ब्लैक सोल्जर फ्लाई से अपशिष्ट का उपयोग करता है।
उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-सिफरी ने केन्द्रीय रेशम बोर्ड के सहयोग से पिंजरों और तालाबों में आम मीठे पानी की खेती योग्य प्रजातियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए मत्स्य आहार के विकास के लिए रेशम कीट प्यूपा मील का उपयोग किया। संस्थान ने रेशम के कीड़ों के प्यूपा मील का उपयोग करते हुए विभिन्न फ़ीड आकारों (1, 2, 3 और 4 मिमी गोली आकार) के साथ सभी जीवन चरणों जैसे फ्राई, फिंगरिंग, किशोर और ग्रो-आउट चरणों के लिए अपशिष्ट से धन फ़ीड विकसित किया है।
डॉ. के. सत्यनारायण, निदेशक, सीएसबी-सीटीआरटीआई, रांची ने अपने संबोधन में कहा कि सीआईएफआरआई ने हमारे संस्थान के साथ शहतूत और तसर रेशम कीट प्यूपा से उप-उत्पादों के विकास पर काम किया है और मछली के विभिन्न चरणों के लिए चार मछली फ़ीड विकसित किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के दक्षिण, पूर्व और उत्तर पूर्व भाग में कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। सीटीआरटीआई प्यूपा कचरे से औद्योगिक उपयोग के लिए तेल जैसे अन्य उपोत्पादों पर भी काम कर रहा है।
बैठक में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के दस मत्स्य आहार उद्योगों के प्रतिनिधियों सहित उद्यमियों, भाकृअनुप-सिफरी के वैज्ञानिकों और सीएसबी-सीटीआरटीआई के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
यहां एफईएम डिवीजन के डिवीजन प्रमुख, डॉ. एम.ए. हसन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-सिफरी, बैरकपुर)
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