हाल के दिनों में, भंडारित खाद्यान्नों और प्रसंस्कृत उत्पादों में कीड़ों का प्रकोप अधिक गंभीर हो गया था। कीट का प्रकोप उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन तथा फार्म, प्रोसेसर, निर्यात/ आयात स्तर पर भंडारण जैसे विभिन्न चरणों में प्रभावित कर रहे हैं। भाकृअनुप-सीफेट, लुधियाना की 25वीं अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक के अवसर पर संस्थान में "भंडारण-कीट प्रबंधन प्रयोगशाला" के रूप में एक अत्याधुनिक सुविधा का उद्घाटन किया गया। यह प्रयोगशाला भंडारण-कीटविज्ञान में अनुसंधान करने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित है। यहां की प्रयोगशाला कृषि और संबद्ध वस्तुओं के भंडारण में कीट प्रबंधन के लिए रणनीतियों पर अनुसंधान करेगी। भाकृअनुप-सीफेट एक नोडल संस्थान होने के नाते कटाई के बाद मशीनीकरण, प्रसंस्करण तथा मूल्यवर्धन के क्षेत्र में काम कर रहा है, इस प्रयोगशाला सुविधाओं के अतिरिक्त इसके आकर्षण में इजाफा होगा।
डॉ. डी.सी. जोशी, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा और आरएसी के अध्यक्ष ने प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अन्य आरएसी सदस्य, डॉ. आर. विश्वनाथन, पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख, टीएनएयू, कोयम्बटूर और डॉ. मीनाक्षी सिंह, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर, नई दिल्ली उपस्थित थे। डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले, निदेशक, भाकृअनुप-सीफेट, लुधियाना ने वैज्ञानिकों, डॉ. मंजू बाला, डॉ. गुरु पी.एन. और अन्य कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इस अनूठी प्रयोगशाला की स्थापना की और संस्थान को कटाई के बाद के प्रबंधन अनुसंधान में अगले स्तर तक ले गए।
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram