23 मार्च, 2023, रांची
भाकृअनुप-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान (निसा), रांची ने 23 मार्च, 2023 को ऑनलाइन मोड के माध्यम से "लाख कीट आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण पर नेटवर्क परियोजना" (एनपी-सीएलआईजीआर) की 10वीं वार्षिक समीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. एस.एन. झा, उप महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की और लाख कीटों जैसे देश के स्वदेशी प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की प्राकृतिक लाख कीट आबादी के सर्वेक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा इस कार्य को गति देकर पूरा किया जाना चाहिए।
डॉ. के.पी. सिंह, सहायक महानिदेशक (फार्म इंजीनियरिंग) ने सभी केन्द्रों से वार्षिक उपलब्धियों को मात्रात्मक दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए कहा, जिसमें नए लाख कीट/ मेजबान पौधों की संख्या एकत्र एवं संरक्षित करने, शोध लेख प्रकाशित करने, पेटेंट कराने, कॉपीराइट दायर करने और नई प्रौद्योगिकियां विकसित करना शामिल था।
डॉ. के. नरसय्या सहायक महानिदेशक (पीई) ने प्रमुख लाख होस्ट-प्लांट्स और सभी रिकॉर्ड किए गए लाख होस्ट-प्लांट्स के फील्ड गाइड के शुरुआती प्रकाशनों पर जोर दिया, जो लाख उद्योग के हितधारकों के लिए एक बहुत ही उपयोगी संसाधन के रूप में काम करेगा।
डॉ. अभिजीत कर, निदेशक, भाकृअनुप-निसा ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा प्रतिभागियों ने कहा कि परियोजना के सर्वेक्षण कार्य पूरा होने के बाद इसकी स्थिरता के लिए संस्थान के विस्तारित जनादेश के साथ संरेखित करना होगा।
अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. के.के. शर्मा, परियोजना समन्वयक एनपी-सीएलआईजीआर और पूर्व निदेशक, एनआईएसए ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा लाख कीट जैव विविधता संरक्षण के महत्व और आजीविका एवं वन संरक्षण प्रदान करने में लाख कीट खेती की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लाख कीटों की हाल ही में वर्णित सभी नई प्रजातियां उन क्षेत्रों से रिपोर्ट की गई हैं जहां लाख की व्यावसायिक रूप से खेती नहीं की जाती है, इसलिए सर्वेक्षण और प्रलेखन का महत्व और बढ़ जाता है।
अंत में, एक समापन सत्र आयोजित किया गया जिसमें डॉ. पन्ना लाल सिंह, पीएस ने परियोजना की सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए कहा।
परियोजना के सह-पीआई, डॉ. के. थमिलारसी द्वारा सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ बैठक समाप्त हुई।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान, रांची)
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