13 अप्रैल, 2023, बेंगलुरु
भाकृअनुप-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बेंगलुरु में आज डॉ. एस.वी. सुरेशा, माननीय कुलपति, यूएएस, बेंगलुरु द्वारा एपेमिडी मैंगो डायवर्सिटी फेयर - 2023 का उद्घाटन किया गया।
इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि, डॉ. ई. श्रीनिवास राव, सलाहकार (बागवानी), तेलंगाना सरकार, डॉ. आर. रवींद्र, (क्षेत्रीय प्रमुख, दक्षिण, एपीडा), और डॉ. वी.बी. पटेल, ( सहायक महानिदेशक, बागवानी, भाकृअनुप) उपस्थित थे।
आयोजन के दौरान, एपेमिडी आमों के पांच संरक्षक किसानों को एपेमिडी आमों के संरक्षण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम ने एपेमिडी आमों की विविधता और महत्व को प्रदर्शित किया तथा अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए उन्हें लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. ई. श्रीनिवास राव ने एपेमिडी आमों की प्रासंगिकता के बारे में बताया और बाजार विस्तार के लिए इस तरह के व्यापार मेलों के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. आर. रवींद्र ने एपेमिडी आमों की 200 से अधिक किस्मों के संरक्षण में भाकृअनुप-आईआईएचआर के प्रयासों की सराहना की और वर्चुअल माध्यम से क्रेता-विक्रेता बैठकों को वैश्विक बाजार में एपेमिडी जैसे जीआई उत्पादों को पेश करने की क्षमता का उल्लेख किया।
डॉ. वी.बी. पटेल वर्चुअल रूप से इस मेला में शामिल हुए और मेले के आयोजन तथा दक्षिण भारतीय राज्यों के किसानों को संगठित करने के लिए भाकृअनुप-आईआईएचआर को बधाई दी। उन्होंने बाजार की मांग को पूरा करने और उत्पाद विविधीकरण के लिए अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए कर्नाटक राज्य में एपेमिडी के क्षेत्र विस्तार पर जोर दिया।
मेले के दौरान अपने एपेमिडी उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले चुनिंदा प्रदर्शकों को सर्वश्रेष्ठ स्टॉल पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
डॉ. संजय कुमार सिंह, निदेशक आईआईएचआर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
डॉ. एस.वी. सुरेश ने इस महत्वपूर्ण प्राकृतिक उपहार को संरक्षित करने में आईआईएचआर के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मूल्यवर्धन के माध्यम से जीआई टैग, प्राकृतिक और जैविक होने के कारण एपेमिडी आम किसानों की आय को दोगुना कर सकते हैं और कृषि महिलाओं के लिए ऑफ-टाइम रोजगार पैदा कर सकते हैं।
एपेमिडी मैंगो डाइवर्सिटी फेयर - 2023 ने एपेमिडी मैंगो की विविधता और महत्व को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया और उनकी क्षमता के बारे में जागरूकता पैदा की है। इस तरह के पहल से एपेमिडी आमों के संरक्षण और विस्तार में योगदान मिलेगा और किसानों और उपभोक्ताओं को समान रूप से लाभ होगा।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, हेसरघट्टा)
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