22 मार्च, 2023, बैरकपुर
भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान (क्रिजाफ), बैरकपुर ने जूट उत्पादन में सटीक कृषि की तकनीकों को लागू करने के प्रयास कर रहा है। इस दिशा में भाकृअनुप-क्रिजाफ को आज कृषि यंत्रीकरण के उप मिशन के तहत "ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रदर्शन" के लिए भाकृअनुप संस्थानों में से एक के रूप में चुना गया है। किसानों में जागरूकता पैदा करने और ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप-क्रिजाफ परिसर में ड्रोन आधारित छिड़काव का प्रदर्शन भी आयोजित किया गया।
किसान ड्रोन एक क्रांतिकारी तकनीक है, जिसका उपयोग कीटनाशकों के सटीक छिड़काव के लिए प्रभावी ढंग से किया जाता है तथा जिससे रासायनिक उपयोग एवं इसकी लागत कम हो जाती है। फसल के स्वास्थ्य का आकलन होता है, और बड़े क्षेत्र में खरपतवार, बीमारी और कीट के संक्रमण की वास्तविक समय पर निगरानी होती है और इस प्रकार उनका समय पर प्रबंधन सक्षम होता है। .
कपास के बाद जूट भारत में एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशे वाली फसल है। कच्चा जूट एक बायोडिग्रेडेबल और वार्षिक आधार पर नवीकरणीय स्रोत होने के कारण इसे पर्यावरण के अनुकूल फसल माना जाता है और यह पर्यावरण तथा पारिस्थितिक संतुलन के रखरखाव में मदद करता है। जूट की फसल बुवाई के 40-50 दिनों के बाद ऊंचाई अधिक हो जाने के कारण परम्परागत छिड़काव में बाधा उत्पन्न करता है, इसलिए फसल के विकास के मध्य और बाद के चरणों में कीटनाशकों का परंपरागत छिड़काव मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, परंपरागत छिड़काव से कीटनाशकों का असमान अनुप्रयोग होता है, सघन कैनोपी में सक्रिय संघटकों की खराब छिड़काव और वहां तक कम पहुंच के कारण रोगों और कीटों पर नियंत्रण अपर्याप्त होता है।
डॉ. गौरंगा कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ ने कहा कि ड्रोन तकनीक निकट भविष्य में किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय होने जा रही है क्योंकि यह कीटनाशकों के सही अनुप्रयोग और बेहतर सटीकता तथा कम समय के साथ फसल की निगरानी करने में बहुत आसान है। कीटनाशकों के भौतिक जोखिम से बचने वाले किसानों के लिए ड्रोन-आधारित कीटनाशक छिड़काव सुरक्षित है और जूट जैसी लंबी फसलों में अधिक सुविधाजनक है। मैन्युअल छिड़काव की तुलना में ड्रोन से फसल-छिड़काव में बहुत अधिक कार्य कुशल (6 मिनट/एकड़) होती है।
भाकृअनुप-क्रिजाफ के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को ड्रोन आधारित छिड़काव के विभिन्न लाभों के बारे में बताया गया, जिसने हितधारकों के बीच काफी रुचि और प्रेरणा पैदा की।
कार्यक्रम में 150 किसानों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)
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