करनाल, 01 जून 2010
डेयरी शिक्षा और अनुसंधान के गुणवत्तायुक्त विकास के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विज्ञान अकादमी का गठन किया गया। अकादमी संबंधित नीतिगत मामलों पर थिंक टैंक का कार्य करेगी। इसके अलावा यह विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के साथ राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं को आयोजित करेगी। राष्ट्रीय डेयरी विज्ञान अकादमी का उदघाटन विश्व दुग्ध दिवस 01 जून के अवसर पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान किया गया।
डॉ. आर. बी. सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक नियुक्ति मंडल, आईसीएआर, नई दिल्ली ने कार्यशाला के उदघाटन सत्र में विश्व में भुखमरी की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व में लगभग एक अरब लोग भूख से पीड़ित हैं और जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। भारत में फसल विज्ञान के मुकाबले पशुधन बेहतर परिणाम दे रहा है। पशुधन क्षेत्र का विकास छह प्रतिशत की वृद्धि दर से होने की उम्मीद है, मगर फिलहाल यह विकास दर लगभग चार से पांच प्रतिशत पर टिकी हुई है। पशुधन क्षेत्र महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर दे रहा है अतः इसे महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
एनडीआरआई ने अपनी नई वेबसाइट www.ndri.res.in लांच की है, जो संस्थान के अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार संबंधी कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी देगी।
डॉ. बी. एन. माथुर, पूर्व निदेशक, एनडीआरआई ने अपने उद्बोधन में इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों को डेयरी शिक्षा उपलब्ध कराने का केंद्र बन सकता है।
डॉ. ए.के श्रीवास्तव, निदेशक, एनडीआरआई ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि कृषि के सकल घरेलू उत्पाद में पशुधन क्षेत्र 28-30 प्रतिशत और पशुधन के सकल घरेलू उत्पाद में दुग्ध क्षेत्र का 70 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने इस बात पर हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि भारत में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की दर विश्व के औसत से चार गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि डेयरी और गैर-डेयरी क्षेत्र में मजदूरी में बढ़ती असमानता चिंता का विषय है।
(Source: NAIP Project on Mobilizing Mass Media Support For Sharing Agro Information)
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