भोपाल, 23 जुलाई 2010
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) और महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. ने आज केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, सीआईएई, भोपाल में कृषि यंत्रीकरण की विचार गोष्ठी का उदघाटन किया।
डॉ. अय्यप्पन ने भारतीय कृषि में श्रम शक्ति की कमी का जिक्र करते हुए कृषि कार्यों के यंत्रीकरण को जरूरी बताया। उन्होंने परिष्कृत खेती, बागानी फसलों के लिए छोटे उपकरण और प्रसंस्करण उद्योग के लिए एकीकृत परिवहन व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे बायोमास आधारित बिजली उत्पादन प्रणाली से प्रभावी ऊर्जा प्रबंधन तकनीक, उन्नत सोलर ड्रायर और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक विकसित करें, जो तकनीकी और आर्थिक रूप से सभी के लिए उपलब्ध हो सके। उन्होंने उद्योग जगत के साथ साझेदारी कर धान की रोपाई के लिए घरेलू उपकरण विकसित करने को कहा, जिससे विदेशी मशीनों पर निर्भरता खत्म की जा सके। उनका सुझाव था कि सीआईएई प्रोटोटाइप्स की आपूर्ति कृषि विज्ञान केंद्रों को की जाए जिससे स्थानीय किसानों में इन उपकरणों की लोकप्रियता बढ़े।
डॉ. एम. एम. पांडेय, उप-महानिदेशक, अभियांत्रिकी, भा.कृ.अनु.प. ने गोष्ठी के उद्देश्यों को संक्षेप में बताया और प्रौद्योगिकी और तकनीक-आर्थिक व्यवहार्यता की गुणवत्ता पर जोर दिया जो बाजार को आकर्षित करती हैं ।
इससे पूर्व डॉ. प्रीतम चंद्रा, निदेशक, सीआईएई ने भा.कृ.अनु.प. और उद्योगों से आए अतिथियों का स्वागत करते हुए विकास की क्षमता की आवश्यकता और ग्रामीण परिवार की आय वृद्धि को विशेष रूप से चिन्हित किया जो फार्म यंत्रीकरण के माध्यम से हासिल की जा सकती है।
इस दो दिवसीय विचार गोष्ठी में कृषि यंत्रीकरण के विभिन्न लक्ष्यों, इसकी वर्तमान स्थिति और अनुंसधान मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। गोष्ठी में भा.कृ.अनु.प. के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक और कृषि उद्योग के प्रतिनिधि और प्रतिभागी शामिल हैं।
(स्रोत: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबलाइजेशन, दीपा और सीआईएई, भोपाल)
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