बीकानेर, 21 अक्टूबर 2010
पशुपालन क्षेत्र का राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय योगदान है। यह कहना है श्री मुरारी लाल मीणा, राज्य प्रौद्योगिकी शिक्षा (कृषि) (स्वतंत्र), मंत्री, राजस्थान सरकार का। वे स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, आईसीएआर कीे क्षेत्रीय समिति-5 की बैठक का उद्घाटन कर रहे थे। इस दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पशुपालन क्षेत्र के पास अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम से कम निवेश के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने की क्षमता है।
अपने उद्बोधन को आगे बढ़ाते हुए श्री मीणा ने स्वदेशी पशुधन संरक्षण एवं सुधार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें राज्य की जैव विविधता की रक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने चारा फसल और चारा वृक्षों की खेती से जुड़ी सुविधाओं द्वारा राज्य के प्रत्येक जिले में आपदा योजना के विषय में भी उल्लेख किया।
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कहा कि राज्यों के सहयोग से गुजरात और दमन दीव के तटीय क्षेत्रों के मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजना है, जिसके अंतर्गत इन क्षेत्रों पर और अधिक व्यय किया जाएगा। उन्होंने बैठक में इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि निवेशकों की एक बैठक आयोजित की जाएगी, जो बागवानी फसलों को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसके साथ ही डॉ. अय्यप्पन ने कहा कि कृषि क्षेत्र को अधिक लाभकारी बनाकर ग्रामीण युवाओं के बीच स्वरोजगार में आवश्यक वृद्धि की जाएगी।
डॉ. ए. के. सिंह, उप-महानिदेशक (एनआरएम), आईसीएआर ने सुझाव देते हुए कहा कि जैविक खेती किसानों के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसबगोल और खजूर की खेती भी एक बेहतर और लाभदायक विकल्प हैं।
बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य कृषि विभागों, क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय और कृषि विज्ञान केद्र के अधिकारीगण हिस्सा ले रहे हैं।
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