भुवनेश्वर, 29 अक्टूबर 2010
कृषि विज्ञान केंद्र, केवीके की 17वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन 25 से 29 अक्टूबर के बीच उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर में क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय, क्षेत्र-7 (आईसीएआर), जबलपुर के तत्वावधान में किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रो. एन. पांडा, अध्यक्ष, पश्चिमी उड़ीसा विकास परिषद (डब्ल्यूओडीसी), भुवनेश्वर ने अपने उद्बोधन में कहा कि केवीके का एसएमएस जॉब बहुत ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसमें निरीक्षण, अनुभव तथा स्वीकार्यता की क्षमता का होना अत्यंत आवश्यक है। प्रो. पांडा ने अपने भाषण में प्रौद्योगिकी के प्रसार में भागीदारी दृष्टिकोण पर बल दिया और कहा कि प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से अपनाया जाए। इसके लिए जरूरी है कि प्रोद्यौगिकी चयन किसानों की आर्थिक क्षमता की पहुंच तक हो। इसके साथ ही उन्होंने गरीब किसानों के लिए मौसम और अन्य कई कारणों से होने वाले जोखिम से बचने के लिए संसाधनों को मुहैया कराने की भी सिफारिश की
प्रो. डी. पी. रे, कुलपति, उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में देश में कई फसलों की उपज के ठहराव पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कृषक समुदाय को सशक्त बनाने के लिए किसान क्लब, स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाना है। इसके साथ ही उन्होंने किसान मोबाइल सलाहकार और वेब आधारित संदेश प्रणाली की प्रसंशा करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए इसका काफी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।
इस अवसर पर डॉ. यू. एस. गौतम, क्षेत्रीय परियोजना निदेशक ने अपने क्षेत्र की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन, कृषि में महिलाएं, आरसीएम-7 की प्रारंभिक समीक्षा, वर्ष 2010-11 के दौरान केवीके की प्रगति और वर्ष 2011-12 की वार्षिक कार्य योजना आदि सहित कुल आठ तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें कार्यक्रम समन्वयकों और विषय विशेषज्ञों सहित कुल 136 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
(स्रोत-एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा और क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय, क्षेत्र-7, जबलपुर )
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram