नई दिल्ली, 2 फरवरी 2011
माननीय श्री शरद पवार, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान सोसाइटी की 82वें वार्षिक आम बैठक में एक महत्वपूर्ण योजना ‘नेशनल इनीशिएटिव फॉर क्लाइमेंट रेजिलियेंट एग्रीकल्चर’ का शुभारंभ किया। यह पहल भारतीय कृषि के अंतर्गत मुख्यतः फसल, पशुधन और मात्स्यिकी क्षेत्रों को संबोधित करेगी।
समग्र दृष्टिकोण और पूर्वानुमान के साथ अनुसंधान के लिए केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, सीआरआईडीए, हैदराबाद के नेतृत्व में परिषद के सात मुख्य अनुसंधान संस्थान सम्मिलित रूप से कार्य करेंगे, जिसका बजट 350 करोड़ रुपए होगा। विकासशील अनुकूलन और शमन रणनीतियों के लिए चुने गए अनुसंधान संस्थानों में अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अनुसंधान सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
सर्वश्रेष्ठ तथा लागत-प्रभावी प्रौद्योगिकियों का देश के 100 सर्वाधिक जलवायु विषमताओं से प्रभावित होने वाले जिले के किसानों के खेतों पर प्रदर्शन किया जाएगा। इन प्रौद्योगिकियों में वर्षा जल संचयन और इसके समुचित उपयोग, स्वस्थानी नमी संरक्षण, सूखा प्रबंधन रणनीति, बीज व चारा बैंक, समयानुरूप तथा सटीक कृषि और प्रभावी कृषि-सलाहकार प्रणाली में आईसीटी तकनीकों का उपयोग शामिल है। वर्षा सिंचित, तटीय तथा पर्वतीय क्षेत्रों पर सर्वाधिक ध्यान केंद्रित होने के कारण इन क्षेत्रों के छोटे तथा सीमांत किसान सर्वाधिक लाभान्वित होंगे।
सीमांत क्षेत्रों में वैज्ञानिकों की क्षमता निर्माण इस परियोजना की एक मुख्य गतिविधि है। जलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी अंशधारकों को तैयार करना तथा विविध जागरूकता कार्यक्रम भी इस परियोजना के कार्यों में शामिल हैं।
(स्रोत- एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा)
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