'किरण' का शुभारम्भ
बारापानी (शिलांग), 05 मई 2011
महामहिम श्री रंजीत शेखर मूशाहरी, राज्यपाल, मेघालय ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), की (क्षेत्र-3-पूर्वोत्तर राज्य असम सहित) 20वीं क्षेत्रीय समिति बैठक का उद्घाटन किया। यह बैठक यहां आईसीएआर अनुसंधान परिसर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, बारापानी, शिलांग में आयोजित की जा रही गई। इस अवसर पर उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कृषि अनुसंधान समुदाय से पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र कृषि विकास के लिए विशेष रूप से दूध, मटन और अन्य खाद्य उत्पादों पर कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में खाद्य की अधिकता थी परंतु जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि के कारण अब इसमें कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान महामहिम राज्यपाल ने अपने भाषण में उच्च उत्पादकता के लिए कृषि, बागवानी तथा अन्य क्षेत्रों की अद्भुत विविधता के उपयोग पर भी जोर दिया।
महामहिम राज्यपाल ने सुझाव देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराने हेतु एकल फसल के बजाय दोहरी फसल प्रणाली को अपनाया जा सकता है और आजीविका की सुरक्षा के लिए मध्य पहाड़ियों में स्ट्रॉबेरी की खेती को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। उन्होंने कृषि और संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए अनुसंधान में ज्ञान के उपयोग की बात भी दोहराई।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल ने कृषि में ज्ञान सूचना भंडार, जिसे ''किरण' , नाम दिया गया है, का भी शुभारंभ किया। इसके अंतर्गत अंशधारकों के बीच में भागीदारी और अभिसरण के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में अधिक खाद्य उत्पादन के लिए वैज्ञानिक ज्ञान की शक्ति और प्रौद्योगिकियों के उपयोग की व्यवस्था है। महामहिम ने इस अवसर पर इससे संबंधित प्रकाशनों को भी जारी किया।
श्री बी. एम. लान्नोंग, उप-मुख्यमंत्री, मेघालय, श्री टी. आर. जीलियांग, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन मंत्री, नगालैंड, श्री पी. पारीजात सिंह, कृषि और केएडीए मंत्री, मणिपुर और श्री एच. लिएंसाइलोवा, कृषि, बागवानी एवं मृदा संरक्षण मंत्री, मिजोरम ने भी सभा को संबोधित किया। इस दौरान इन्होंने अपने संबोधन में राज्य से संबंधित विशिष्ट मुद्दों को उठाया तथा कृषि के विकास के लिए आगे के कार्यों की चर्चा की।
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) तथा महानिदेशक, आईसीएआर ने अपने संबोधन में विशेषतः पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अनुसंधान एवं प्रसार रणनीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्थायी खाद्य पोषण और आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आईसीएआर लगातार प्रयत्नशील है। डॉ. अरविंद कुमार, उप-महानिदेशक (शिक्षा), आईसीएआर ने भी मुख्य अतिथियों और क्षेत्रीय समिति के सदस्यों को संबोधित किया। इससे पूर्व डॉ. एस. वी. नचान, निदेशक आईसीएआर अनुसंधान परिसर, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने मुख्य अतिथियों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।
'किरण' को आईसीएआर द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि उत्पादन प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए सही तकनीक एवं पद्धति और नवीन दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि के विकास हेतु प्रौद्योगिकी उत्पाद एवं ज्ञान के प्रभावी और कुशल उपयोग के लिए सही ज्ञान कौशल के साथ मानव संसाधन सुधार लाने के उद्देश्य से आईसीएआर द्वारा इसकी परिकल्पना की गई है। यह इस क्षेत्र में कार्य करने वाले सार्वजनिक, निजी, राज्य और क्षेत्रीय संगठनों के साथ भागीदारों एवं अंशधारकों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच का काम करेगा।.
'किरण' खेती प्रणाली, तकनीकी परामर्श और नए समाधान के विषय में सिंगल विंडो व्यवस्था के माध्यम से जानकारी प्रदान करेगा। इससे इस क्षेत्र में किसानों एवं अंशधारकों की ओर अनुसंधान एवं विस्तार प्रणाली को तेज करने में मदद मिलेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आईसीएआर संस्थाएं एवं क्षेत्रीय केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य सरकारी विभाग, क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय और संबंधित वित्तीय संस्थाएं इसके अंशधारक होंगे। इसके अलावा गैर-सरकारी संगठनों और अन्य अंशधारक भी इसमें सहभागी होंगे।
(स्रोत : एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए और आईसीएआर परिसर पूर्वोत्तर क्षेत्र )
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