मुम्बई, 06 जून, 2011
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. ने केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुम्बई की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पूर्व निदेशकों, संयुक्त निदेशकों और स्टॉफ के योगदान को याद किया। वर्ष 1961 में कार्यरत मात्स्यिकी कर्मियों के प्रशिक्षण संस्थान के रूप में आरम्भ यह संस्थान अब देश में मात्स्यिकी के क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान और शिक्षा संस्थान का वर्तमान स्वरूप ले चुका है। उन्होंने जोर दिया कि संस्थान ने न केवल शिक्षा बल्कि मात्स्यिकी अनुसंधान और प्रसार के मामले में भी बेहद तरक्की की है जैसे कार्प हैचरी, आंध्र प्रदेश में जलजीव संवद्र्धन क्रांति और महाराष्ट्र में अंतस्थलीय लवणीय मृदाओं में श्रिम्प पालन और अपक्षरित भूमियों का सुधार।
डॉ. अय्यप्पन ने परिषद द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू की जाने वाली नई योजनाओं जैसे राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परियोजना, नए पुरस्कार, कॅरियर उन्नयन, छात्रों और संकाय के विदेशी दौरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न कार्यकलापों के लिए संस्थान की सराहना की और बंजर भूमि को विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ कार्यकलापों का हब बनाने में अति प्रसन्नता व्यक्त की। इसके अलावा उन्होंने संकाय और स्टॉफ से शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता की अपील की।
(हिंदी प्रस्तुति: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए)
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