समस्या सुलझाने वाले अनुसंधान की जरूरत: शरद पवार

समस्या सुलझाने वाले अनुसंधान की जरूरत: शरद पवार

भा.कृ.अनु.प. पुरस्कार समारोह

नई दिल्ली,16 जुलाई 2011

DSC_0380.jpg 'हमारे अनुसंधान को और अधिक चयनात्मक और समस्या सुलझाने वाले दृष्टिकोण पर केंद्रित करने की जरूरत है। अनुसंधान प्राथमिकताओं को मांग प्रेरित तथा नवाचारों को तेजी से बढ़ावा देने वाला होना चाहिए।'यह बात श्री शरद पवार, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कही। वह भा.कृ.अनु.प. के 83 वें स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

पुरस्कार विजेताओं और उनके परिजनों को बधाई देते हुए श्री पवार ने कहा कि भा.कृ.अनु. प. की पुरस्कार प्रणाली वैज्ञानिकों के कार्यों में और अधिक गुणवत्ता लाने और व्यक्तियों, समूहों एवं संस्थाओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा का माहौल बनाने में योगदान देगी। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने भा.कृ.अनु.प. तथा पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एवं एफआरए) के पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया।

श्री हरीश रावत, केंद्रीय कृषि, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री और डॉ. चरण दास महंत, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री ने पुरस्कार विजेताओं को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए बधाई दी।

इस वर्ष विभिन्न पुरस्कार श्रेणियों में अनुसंधानकर्ताओं के अलावा प्रगतिशील किसान, कृषि पत्रकार, अध्यापक तथा लेखक शामिल थे। कुल 17 विभिन्न श्रेणियों के तहत 85 पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार पाने वालों में 13 संस्थान, 59 वैज्ञानिक, 10 किसान और तीन पत्रकार शामिल हैं। इस वर्ष पुरस्कार प्राप्त करने वाले कुल 59 वैज्ञानिकों एवं 10 किसानों में से नौ महिला वैज्ञानिक तथा एक महिला किसान है।

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भा.कृ.अनु.प. का पहला नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. टी. के. आध्या, निदेशक, केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक को उष्णकटिबंधीय धान में मीथेन उत्पादन के लिए प्रदान किया गया। उनका यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने से संबंधित अनुसंधान में सहायक होगा। यह पुरस्कार देश में हरित क्रांति को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. नॉर्मन ई. बोरलॉग के नाम पर दिया गया है।

स्थापना दिवस पर पहला पौधा जीनोम उद्धारकर्ता सामुदायिक पुरस्कार (वर्ष 2009-10) कोपाटगिरि नांदीवीरिमथ सेवा फाउंडेशन, गडग, कर्नाटक और पंचवटी ग्राम उन्नयन समिति, कोरापुट, ओडिशा को दिया गया। कृषि-जैव विविधता के क्षेत्र में पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एवं एफआरए) द्वारा संस्थापित पहली बार दिए जाने वाले पुरस्कार के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों और कृषक समुदाय को प्रोत्साहित करने का यह सराहनीय प्रयास है।

इससे पूर्व डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) तथा महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. ने गणमान्य व्यक्तियों तथा पुरस्कार विजेताओं का स्वागत किया।  इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों द्वारा भा.कृ.अनु.प. और कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय द्वारा कृषि और संबंद्ध विज्ञान पर प्रकाशित प्रकाशन और सीडी जारी की गई।

समारोह में भा.कृ.अनु.प., पीपीवी एवं एफआरए के वरिष्ठ अधिकारियों और अतिथियों ने हिस्सा लिया।

श्री राजीव महर्षि, अपर सचिव, डेयर तथा सचिव, भा.कृ.अनु.प. ने अतिथियों को धन्यवाद दिया।

(स्रोत: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए)

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