भा.कृ.अनु.प. स्थापना दिवस व्याख्यान
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2011
'आपको यह तथ्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि किसान आपके अनुसंधान का मुख्य केंद्र हैं। जब तक आप किसानों और उनकी समस्याओं के साथ नहीं जुड़ेंगे, तब तक आप उच्च उत्पादकता और किसानों को बेहतर आय दिलाने के लिए ज्ञान को उन तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सकते।'यह बात भारत के माननीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अनु.प.) के 83वें स्थापना दिवस पर दिए गए अपने व्याख्यान में कही।
इस अवसर पर दिए गए अपने उदबोधन में माननीय प्रधानमंत्री ने खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और खाद्य उत्पादन में विविधता लाने में भा.कृ.अनु.प. के योगदान की सराहना करते हुए बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भविष्य में खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग को देखते हुए खाद्य उत्पादन को व्यापक, समावेशी और टिकाऊ बनाने की आवश्यकता है और इसके लिए हमें दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है। हमें प्राकृतिक संसाधनों को बिना नुकसान पहुंचाए अधिक उत्पादन करने की आवश्यकता है और यह कार्य कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत वर्तमान में अपने कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 0.6 प्रतिशत भाग कृषि अनुसंधान और विकास पर खर्च करता है लेकिन इसे वर्ष 2020 दो से तीन गुना तक बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि कृषि विकास का अधिकांश भाग नई प्रौद्योगिकियों और नवीन ज्ञान के मार्ग से आना संभावित है।
इस अवसर पर डॉ. मनमोहन सिंह ने कृषि के विकास के लिए विशेष रूप से दो क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी-पहला, नए एवं उभरते रोगों तथा रोगजनकों के प्रबंध द्वारा फसल, पशु एवं कृषि उपज का संरक्षण और दूसरा, उत्पादकता में सुधार हेतु दबावों को बेहतर तरीके से सहन करने और किसानों की आय बढ़ाने में सक्षम जैव प्रौद्योगिकियों का सावधानीपूर्वक अनुप्रयोग।
प्रधानमंत्री ने खाद्यान्न उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 10 राज्यों को दो श्रेणियों के तहत और कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय द्वारा स्थापित कृषि कर्मण पुरस्कार (वर्ष 2010-11) से सम्मानित किया। पंजाब, उत्तर प्रदेश (ग्रुप-1), ओडिशा, असम (ग्रुप-2) और त्रिपुरा (ग्रुप-3) को कुल खाद्यान्न उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए और एकल फसल श्रेणी में छत्तीसगढ़ को चावल, हरियाणा को गेहूं, महाराष्ट्र एवं राजस्थान को दलहन तथा कर्नाटक को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए पुरस्कृत किया गया। राज्यों की ओर से यह पुरस्कार संबंधित माननीय मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों ने ग्रहण किया।
इससे पूर्व श्री शरद पवार, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, राज्यों के कृषि मंत्रियों और प्रतिष्ठित अतिथियों का स्वागत किया। श्री पवार ने बताया कि चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार इस वर्ष कुल खाद्यान्न उत्पादन 241 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम कृषि अनुसंधान और विकास पर कृषि घरेलू उत्पाद का 0.5 प्रतिशत ही खर्च कर रहे हैं। यदि हमें भारतीय कृषि को सही रूप से प्रतियोगात्मक बनाना है तो इसे आदर्श रूप में 2-3 प्रतिशत होना चाहिए।
श्री हरीश रावत, केंद्रीय कृषि, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने अपने वक्तव्य में सतत मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) तथा महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. ने अपनी प्रस्तुति में परिषद की उपलब्धियों और भविष्य की अनुसंधान रणनीतियों पर प्रकाश डाला। माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में भा.कृ.अनु.प. की उल्लेखनीय पहलों-भा.कृ.अनु.प. की यात्रा पर ई-पुस्तक, चावल ज्ञान प्रबंधन पोर्टल, कृषि केंद्र, कृषि के ई-पाठ्यक्रम और भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार के डिजाइन-को लांच किया गया।
भारत सरकार, राज्य सरकार तथा भा.कृ.अनु.प. के वरिष्ठ अधिकारी स्थापना दिवस समारोह में उपस्थित थे।
(स्रोत: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए)
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram