नई दिल्ली, 31 मई 2012
भारत सहित 14 देशों के 300 वैज्ञानिकों के एक अन्तर्राष्ट्रीय दल (Tomato Genome Consortium, टी. जी. सी.) ने टमाटर (सोलैनम लाइकोपर्सिकान) तथा इसके निकटतम सम्बन्धी जंगली टमाटर, सोलैनम पिम्पेनेलि्फोलिअम, के जीनोम का अनुक्रमण पूरा कर लिया है| इस मह्त्वपूर्ण उपलब्धि के फलस्वरूप टमाटर की सूखा प्रतिरोधी, रोग प्रतिरोधी, कीट प्रतिरोधी और उत्तम गुणवत्ता वाली नई किस्में विकसित करना अब सहज हो जाएगा | यह शोध इस सप्ताह, विश्व-प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका 'नेचर' के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ है|
भारत का योगदान: टमाटर के कुल 12 गुणसूत्रों में से भारत ने गुणसूत्र संख्या 5 के वंशाणु-सघन भागों का अनुक्रमण किया है| इसके अतिरिक्त भारत ने नई पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीकों द्वारा टमाटर के पूरे जीनोम के 5 गुना अनुक्रमण के लिये सहयोग प्रदान किया है| भारतीय वैज्ञानिकों ने 'अन्तर्राष्ट्रीय टमाटर जीन नामांकन समूह' के साथ मिल कर टमाटर के समस्त वंशाणुओं की पहचान तथा नामांकन में भी सहयोग दिया है| साथ ही साथ भारतीय वैज्ञानिकों ने ट्माटर जीनोम में स्थित रोग, सूखा, नमक, गर्मी तथा जल प्रतिरोधी वंशाणुओं का आर. एन. ए. अनुक्रमण और तुलनात्मक जीनोमिक्स द्वारा अध्ययन किया है| इस शोध के फलस्वरूप अब आणविक प्रजनन द्वारा टमाटर की उन्नत प्रजातियां तेजी के साथ विकसित की जा सकेंगी|
भारतीय टमाटर जीनोम परियोजना में तीन राष्ट्रीय संस्थानों के कुल 24 वैज्ञानिकों ने काम किया| परियोजना के समन्व्यक प्रो. अखिलेश त्यागी थे| भागीदार संस्थानों के नाम हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय दक्षिण परिसर (प्रधान अन्वेषक, प्रो. जितेन खुराना), राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली (प्रधान अन्वेषक, डा. देबाशीष चट्टोपाध्याय) और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद की एक प्रयोगशाला राष्ट्रीय पादप जैव प्रोद्योगिकी अनुसन्धान केन्द्र, भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली (प्रधान अन्वेषक, प्रो. नागेन्द्र कुमार सिंह). भारतीय परियोजना भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित तथा भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा समर्थित थी
इस प्रकाशन में टमाटर तथा इसके नजदीकी जंगली टमाटर के जीनोम में स्थित कुल 35,000 वंशाणुओं की संरचना तथा कार्य का विस्तृत विवरण दिया गया है| टमाटर पौधों की ‘सोलेनेसी’ कुल का एक सदस्य है जिसके अन्दर आलू, बैगन और मिर्च जैसी सब्जियाँ तथा पिटुनिया, तम्बाकू, बेल्लदोना तथा मैन्ड्रेक जैसे व्याव्सायिक पौधे शामिल हैं| इस कुल के पौधे उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों, उपोष्ण छेत्रों तथा रेगिस्तान जैसे विभिन्न वातावरण में अनुकूलित हैं |
टमाटर जीनोम के विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 600 लाख वर्ष पूर्व, जब भयंकर जलवायु परिवर्तन के चलते डाइनासारों का अन्त हो रहा था, टमाटर जीनोम में जीनोम त्रिगुणन के चलते वंशाणुओं की संख्या तीन गुनी हो गई | इसके उपरान्त अधिकांश त्रिगुणित वंशाणु नष्ट हो गए तथा बचे हुए वंशाणुओं द्वारा नये गुणों का विकास हुआ जिसमें बड़े आकार के, नरम एवम् रसदार फलों का विकास तथा पकने के बाद लाल रंग में परिवर्तित हो जाना प्रमुख हैं| टमाटर जीनोम का अनुक्रम ‘सोलनेसी’ कुल के पौधों के लिये एक सन्दर्भ का कार्य करेगा| अन्तर्राष्ट्रीय ‘टी. जी. सी.’ परियोजना की स्थापना 2003 में नीदरलैन्डस में हुई थी जिसमें अर्जेंटीना, बेल्जियम, चीन, फ्रान्स, भारत, इस्राइल, इटली, जापान, कोरिया, नीदरलैंडस, स्पेन, ब्रिटेन तथा अमेरिका सहित कुल चौदह देश सम्मिलित थे| टमाटर जीनोम का अनुक्रम तथा सम्बन्धित जानकारी सार्वजनिक छेत्र में http://solgenomics.net और http://mips.helmholtz-muenchen.de/plant/tomato/index.jsp वेबसाइट पर नि:शुल्क उपलब्ध है|
इसके पूर्व भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान के वैज्ञानिकों ने धान जीनोम का अनुक्रमण अन्तर्राष्ट्रीय भागीदारी से तथा अरहर जीनोम का अनुक्रमण पूर्ण रूप से भारतीय प्रयासों द्वारा पूरा किया है | वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान के वैज्ञानिक गेहूँ जीनोम के गुणसूत्र 2A के अनुक्रमण में व्यस्त हैं | पहले पूर्ण किये गये धान जीनोम की जानकारी की सहायता से विकसित धान की नई प्रजातियाँ अब किसानों के पास पहुंच चुकी हैं|
(स्रोत एवं संपर्क सूत्र: प्रो. नागेन्द्र कुमार सिंह, राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली-110012, ई-मेलः nksingh@nrcpb.org)
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