बाभलेश्वर, 21 जून 2012
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव डेयर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक ने पांचवी जोन के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला के दौरान अहमदनगर जिले के निक्रा गांव निर्मल पिम्परी का दौरा किया तथा केवीके द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने केवीके स्थित बाजरा की प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन भी किया।
डॉ. अय्यप्पन ने केवीके के कार्यक्रम संयोजकों द्वारा लगातार अद्यतन ज्ञान से सूचित कराए जाने पर जोर दिया तथा नियमित तौर पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों से इतर कार्य करने व नवीन पहल के कार्यक्रमों की योजना बनाए जाने की सलाह दी। उन्होंने केवीके, अहमदनगर की विभिन्न गतिविधियों और आधारभूत संरचना के विकास की भी सराहना की।
अपनी टिप्पणियों में कृषि विस्तार के लिए डॉ. के. डी. कोकाटे, आईसीएआर के उप महानिदेशक ने केवीके के बेहतर जुड़ाव तकनीकी पिछड़ेपन को दूर करने के प्रयास, केवीके द्वारा किसानों में विश्वास बढ़ाने आदि की सलाह दी तथा बारहवीं योजना के दौरान आईसीएआर द्वारा की गई नवीन पहल की ओर भी ध्यानाकर्षित किया।
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने विभिन्न किसान समूहों से केवीके द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा भी की। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में केवीके के कार्यक्रम संयोजकों के साथ हुई बैठक में पांचवी जोन के 73 केवीके की गतिविधियों की वार्षिक प्रगति की समीक्षा की गई। आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार निदेशकों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और केवीके की कार्य क्षमताओं में वृद्धि के लिए सुझाव दिए।
इस कार्यशाला के दौरान भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बंगलूरू की अनुसंधान प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ. एम. आर. हेगडे ने संस्थान द्वारा विकसित नवीन तकनीकों की भी जानकारी दी। इसके अतिरिक्त ज्वार अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद के निदेशक डॉ. जे. वी. पाटिल में नवीन तकनीकों की जानकारी दी जबकि तिलहन अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पद्मैया द्वारा तिलहन तकनीक पर प्रकाश डाला।
(स्त्रोत्: कृषि विज्ञान केन्द्र, बाभलेश्वर, अहमदनगर)
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