समस्तीपुर जिले के सराय रंजन ब्लॉक में सोनमार चौर के किसानों ने चौर क्षेत्र के उत्पादक उपयोग के लिए एकीकृत जलीय कृषि का रास्ता चुना है। चौर 43 किसानों के स्वामित्व की भूमि के 44 हैक्टर क्षेत्र में फैला हुआ है। सन् 2008 तक चौर का जंगली मछलियों पकड़ने के लिए उपयोग किया जा रहा था। 2009 में, इस क्षेत्र से दो युवा किसानों ने आईसीएआर अनुसंधान परिसर के पूर्वी क्षेत्र, पटना से प्रशिक्षण लिया और चार अन्य किसानों ने केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा अनुसंधान के क्षेत्रीय केन्द्र, काकीनाडा के राज्य मत्स्य पालन विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रशिक्षण हासिल किया। इन किसानों ने चौर को एक उत्पादक के रुप में बदलने का निर्णय लिया।
राज्य मत्स्य विभाग, भारत सरकार ने स्थानीय यूनाइटेड बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की मदद से बिहार में मछली उत्पादन के लिए चौर में तालाबों की एक श्रृंखला (संख्या 48) का निर्माण किया। 43 किसानों ने सोनमार चौर की मत्स्य विकास समिति का गठन गतिविधियों, संसाधनों, आदानों, उत्पादों के विपणन की सुविधा पर नजर रखने के लिए किया। वर्षा में विलम्ब के कारण, कई स्थानों में ट्यूबवेल का निर्माण किया गया और एक सौर संचालित पंप भी मत्स्य विभाग की सहायता से स्थापित किया गया।
पूर्वी क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसंधान परिसर ने किसानों को भागीदारी में काम करने के लिए प्रेरित किया जिससे चौर में जलीय कृषि से उत्पादन द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा मिल सके। चूंकि, किसान उच्च लागत के कारण मछली को खिलाने में सक्षम नहीं थे इसलिए आईसीएआर आरसीईआर ने बतख, बकरी, और पशु पालन को एकीकृत किया जिससे जैविक कचरे की आपूर्ति के साथ चौर की समग्र उत्पादकता में सुधार लाया जा सके। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और आईसीएआर-आरसीईआर भूमि ने जल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तालाब की मेड़ पर फलों और सब्जियों की फसलें लगाई हैं। संस्थान द्वारा वर्ष 2012 के दौरान तालाब में पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए मछली किसानों के लिए कई प्रदर्शनों को भी प्रदर्शित किया गया।
इसके अलावा, मछली किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सोनमार चौर में 6 दिसंबर 2012 को संस्थान द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। आईसीएआर के वैज्ञानिकों, किसानों, मछुआरों, और राज्य मत्स्य विभाग के लगभग 80 अधिकारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया जहां चौर क्षेत्र के भविष्य विकास के लिए योजना बनाई गई। चौर अब बिहार में अन्य चौरों के विकास के लिए एक आदर्श बन गया है।
(स्रोत: आईसीएआर - आरसीईआर, पटना
हिन्दी प्रस्तुति: एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय)
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