केवल पुरुषों द्वारा किये जाने वाले कार्यों में भी अब महिलाओं ने वर्चस्व स्थापित करना शुरू कर दिया है। केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (सीपीसीआरआई), कासरगोड, केरल में बीज उत्पादन पर चक्रीय निधि योजना के तहत नारियल संकर उत्पादन में प्रशिक्षित महिलाएं 'नपुण नारियल परागणकर्ता' का कार्य कर रहीं हैं। बेहद मेहनत और जोखिम भरा कार्य होने के कारण नारियल के पेड़ पर चढ़ना और परागण करना केवल पुरूषों की जिम्मेदारी थी। इसलिए इस काम को करने वाले लोगों की संख्या घटती गई और कुशल पेड़ पर चढ़ने वाले और परागणकर्ताओं की कमी महसूस की जाने लगी। क्लाइम्बिंग मशीन का उपयोग प्रारम्भ होने से अब पेड़ पर चढ़ने की मशक्कत समाप्त हो गई है और इस मशीन में सुरक्षा उपकरणों द्वारा सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है।
नारियल में अच्छी गुणवत्ता वाले संकर के उत्पादन के लिए कृत्रिम परागण अत्यंत आवश्यक कार्य है। इसके लिए सही वैज्ञानिक प्रक्रिया के साथ ही उचित समय पर मादा फूलों की परागण के लिए निपुण मजदूरों की भी आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए परागणकर्ता को पूरी शक्ति, साहस और निपुणता के साथ नारियल की पत्तियों को लांघकर चोटी तक पहुंचना होता है। संकर उत्पादन के लिए कृत्रिम उत्पादन में नर फूलों से पराग कण एकत्र करके 3-7 दिनों तक मादा फूलों पर पराग करण छिड़क कर गुच्छों पर लेबल लगा दिया जाता है। एक माह में लगभग 8-10 बार परागण कर यह कार्य किया जाता है। 'नारियल के मित्र' नामक यह कार्यक्रम नारियल विकास बोर्ड, केरल द्वारा प्रायोजित है। इस कार्यक्रम का और अधिक विस्तार करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा सीपीसीआरआई प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चला रहा है।
महिलाओं ने नारियल परागण के कार्य को आसानी से सीखकर, आत्मविश्वास के साथ करना प्रारम्भ कर दिया है। पारगण के इस कार्य में महिलाओं ने पुरुषों के बराबर समय लिया। पुरुषों की भांति उन्होंने 60 लम्बे नारियल पेड़ की परागण का कार्य कुशलतापूर्वक किया।

नारियल संकर उत्पादन में महिला परागणकर्ताओं की सफलता से अन्य महिलाएं भी इसे आजीविका के लिए अपनाने के लिए उत्साहित होंगी क्योंकि इसमें ज्यादा आय है और इससे उनका सामाजिक और आर्थिक स्तर बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा इन महिलाओं को महिला प्रशिक्षक के रूप में कार्य दिये जाने की भी योजना है ताकि अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उत्पादन बढ़ाया जा सके। केरल के नारियल उत्पादक समुदाय में संकर बीज उत्पादन बढ़ाने में मजदूरों की कमी को दूर करने, महिला सशक्तिकर, स्त्री-पुरुष समानता, कृषि और ग्रामीण विकास के लिए यह विकल्प एक अच्छा प्रयास है तथा यह अन्य नारियल उत्पादक राज्यों के लिए एक अच्छा उदाहरण बनेगा।
(स्रोतः सीपीसीआरआई, कासरगोड)
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