किसानों को उद्यमियों में परिवर्तित करने के लिए कृषि प्रसंस्कतरण केन्द्रं

किसानों को उद्यमियों में परिवर्तित करने के लिए कृषि प्रसंस्कतरण केन्द्रं

imgकृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र (एपीसी) की संकल्‍पना अनाज को ग्राम स्‍तर पर प्रसंस्‍करित करने की है ताकि किसानों की आय पर्याप्‍त रूप से बढ़ाई जा सके। इन इकाइयों में फार्म/ग्राम स्‍तर पर प्रसंस्‍करण के लिए दो या इससे अधिक मशीनें होती हैं। ये मशीनें छोटी चावल मिल, बेबी ऑयल पेरने के कोल्हू, छोटी आटा चक्कियां, बड़ी आटा चक्कियां, मसाला पीसने की चक्कियां, पेंजा, सफाई तथा भरण चक्कियां हो सकती हैं जिनके निर्माण तथा स्‍थापित करने की लागत लगभग 25-30 लाख रुपये है। इन सभी मशीनों को लगाने के लिए लगभग 200-300 वर्ग गज स्‍थान की आवश्‍यकता होती है। इस प्रकार की कृषि प्रसंस्‍करण इकाइयां तकनीकी रूप से व्‍यावहारिक, आर्थिक रूप से उपयोगी और सामाजिक रूप से स्‍वीकार्य मॉडल सिद्ध हुए हैं। पीएचई और टी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ग्राम स्‍तर पर कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र स्‍थापित करने के लिए तकनीकी ज्ञान व परामर्श उपलब्‍ध कराती है।

श्री एस. रणधीर सिंह धालीवाल, 34, पूर्व सैनिक हैं, ये एक कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र को देखने के बाद मोगा जिले के लांडे गांव में यह इकाई स्‍थापित करने को प्रेरित हुए जिसके लिए उन्‍हें पीएचई और टी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय केन्‍द्र द्वारा सहायता प्रदान की गई। उन्‍होंने इस केन्‍द्र में प्रशिक्षण लिया तथा वांडेर जाटना केन्‍द्र पर स्‍थापित कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र को देखा तथा अपने गांव में ऐसा केन्‍द्र स्‍थापित करने का मन बनाया।

खाका और डिजाइन उपरोक्‍त केन्‍द्र के वैज्ञानिकों के परामर्श से तैयार किए गए और कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र की स्‍थापना के बाद इन्‍हें एचएसीसीपी के माध्‍यम से खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए संयंत्र की उचित कार्य प्रणाली तथा उत्‍पादों के विपणन के बारे में और अधिक प्रेरित करते हुए मार्गदर्शन प्रदान किया गया। कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र में स्‍थापित की गई मशीनरी में छनन प्रणाली से युक्‍त बेबी ऑयल का कोल्‍हू (60 कि.ग्रा./घंटा), आटा चक्‍की (दाना चक्‍की/दलिया बनाने की 150 कि.ग्रा./घंटा की क्षमता वाली मशीन), आटा पीसने की मिल (700 कि.ग्रा./घंटा) और ग्राइंडर शामिल हैं। पूरी प्रणाली को स्‍थापित करने में छह माह का समय लगा और इस प्रकार 10.14 लाख रुपये की लागत से फिल्‍टर प्रेस युक्‍त बेबी ऑयल के कोल्‍हू, आटा चक्‍की, आटा मिल, मसाला ग्राइंडर से प्रति माह 86,025/- रु. का लाभ लिया गया और इससे छह व्‍यक्तियों को रोजगार मिला। उनके प्रसंस्‍कृत उत्‍पादों में गेहूं का आटा, छना हुआ तेल, दलिया, पिसी हुई हल्‍दी, बेसन और गर्म मसाला आदि शामिल हैं। ये अपना यह संयंत्र सफलतापूर्वक चला रहे हैं और इससे इन्‍हें बहुत संतोष प्राप्‍त हुआ है। ये लगभग 15 गांवों के लिए कृषि आधारित जिंसों का प्रसंस्‍करण कर रहे हैं।

“पूर्व सैनिक होने के कारण मुझे कृषि प्रसंस्‍करण उद्योग के इस उद्यम के बारे में न तो कोई ज्ञान था और न ही कोई विशेषज्ञता प्राप्‍त थी। तथापि, इस केन्‍द्र से प्रशिक्षण प्राप्‍त करने के पश्‍चात् मैंने कृषि प्रसंस्करण केन्‍द्र स्‍थापित किया और इस व्‍यापार से हुए लाभ से मैंने 3 वर्ष में अपना सभी उधार चुका दिया है। इस प्रकार मेरी सामाजिक स्थिति सुधर गई है और लोगों ने मुझे गांव का सरपंच चुना है'', श्री धालीवाल ने बताया। उन्‍होंने कृषि प्रसंस्‍करण कॉम्‍प्‍लैक्‍स स्‍थापित करके तथा प्रसंस्‍कृत उत्‍पाद की गुणवत्‍ता को बनाए रखते हुए अन्‍य लोगों के लिए उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। उन्‍होंने कुछ अन्‍य किसानों की भी इस प्रकार के संयंत्र स्‍थापित करने में सहायता की है। ''किसानों को अपनी उपज बाजार में बेचने की बजाय उन्‍हें प्रसंस्‍कृत करने के लिए ऐसी इकाइयां स्‍थापित करनी चाहिए ताकि वे बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त कर सकें और अपनी आर्थिक व सामाजिक स्थिति सुधार सकें'', उन्‍होंने कहा।

जिन किसानों ने ऐसे कॉम्‍प्‍लैक्‍स स्‍थापित किए हैं उन्‍होंने इतना लाभ कमाया है कि उन्‍होंने किसानी छोड़ दी है और अपने परिवार के सदस्‍यों को भी कृषि प्रसंस्‍करण संबंधी गतिविधियों से जोड़ दिया है। अब तक इस केन्‍द्र के मार्गदर्शन से लगभग 273 कृषि प्रसंस्‍करण कॉम्‍प्‍लैक्‍स स्‍थापित किए जा चुके हैं।

फार्म पर ही कृषि प्रसंस्‍करण केन्‍द्र (एपीसी) स्‍थापित करने से गुणवत्‍तापूर्ण उत्‍पाद प्राप्‍त करने, कटाई उपरांत होने वाली हानियों को कम करने, ग्रामीण युवाओं को रोजगार उपलब्‍ध कराने, कृषि में विविधीकरण को प्राप्‍त करने के अलावा किसानों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को सुधारने में भी सहायता मिलेगी।

(स्रोत: कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्राद्योगिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय केन्‍द्र लुधियाना)

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