अरुणाचल प्रदेश में, विशेष रूप से पश्चिम कामेंग और तवांग जिले में रेनबो ट्राउट मछली के पालन की अपार संभावना है। यहां का जल तथा तापमान इन मछलियों के पालन और प्रवर्धन के लिए अनुकूल है। तथापि, राज्य में रेनबो ट्राउट के जीरे की उपलब्धता के मामले में बाधा है यद्यपि राज्य ने शेरगांव तथा नुरानांग ट्राउट फार्म में भूरे ट्राउट के अंडों का उत्पादन कुछ हद तक शुरू किया है।
इसे ध्यान में रखते हुए भा.कृ.अनु.प. – शीत जल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल में वर्ष 2009 के दौरान जम्मू और कश्मीर से लाए गए रेनबो ट्राउट की खेप के परिवहन के प्रयास किए हैं और इन्हें शेरगांव सरकारी ट्राउट फार्म में पाला गया है। ये अंडे 2014-15 के दौरान भा.कृ.अनु.प. – डीसीएफआर की तकनीकी सहायता के अंतर्गत फार्म स्थितियों में ब्रूडर में विकसित हुए।
यह अनुभव किया गया कि फार्म पर ही विकसित ब्रूडरों के माध्यम से जीरा उत्पादन करना संभव है। इसलिए भा.कृ.अनु.प. – डीसीएफआर ने कथित ट्राउट फार्म में स्फुटन की सुविधा से युक्त एक डिम्ब गृह स्थापित करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की, ताकि ट्राउट के फ्राई तथा फिंगरलिंग के न मिल पाने की समस्या को हल किया जा सके। यह उल्लेखनीय है कि डीसीएफआर के इन सभी प्रयासों के साथ मात्स्यिकी विभाग, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014-15 के दौरान शेरगांव सरकारी ट्राउट फार्म, अरुणाचल प्रदेश में पहली बार ट्राउट के एक लाख फ्राई उत्पन्न किए हैं।
भा.कृ.अनु.प. – डीसीएफआर ने संतुलित आहार तथा अन्य प्रवर्धन तकनीकों को उपलब्ध कराके ट्राउट के जीरा उत्पादन की क्षमता को सुधारने के लिए और भी पहल की है। वर्तमान में रेनबो ट्राउट और ब्राउन ट्राउट, दोनों के 500 कि.ग्रा. ब्रूडर इस फार्म में रखे गए हैं और इससे इस क्षेत्र के किसानों को ट्राउट फ्राई व फिंगरलिंग उत्पन्न करने के और मार्ग प्रशस्त हो गए हैं।
(स्रोत: भाकृ.अनु.प. – शीत जल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल)
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