गुजरात के तटवर्ती जिले में कृषि भूमियों की लवणता निरंतर बढ़ती जा रही है। भारत में लगभग 6.73 मिलियन हैक्टर भूमि लवण प्रभावित है और इसमें से 2.22 मिलियन हैक्टर केवल गुजरात राज्य में है। इस क्षेत्र में लवण प्रभावित काली मिटि्टयों तथा लवणीय भूजल के प्रबंधन में सहायक आर्थिक रूप से व्यावहारिक कृषि प्रबंधन की विधियों से इस क्षेत्र में उच्चतर कृषि उत्पादन होगा और इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
देसी कपास छोटे रेशे के गुणवाली, गहरी जड़ प्रणाली तथा रोगों, नाशीजीवों और सूखे की प्रतिरोधी है। भा.कृ.अनु.प. – केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई), क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, भड़ूच (गुजरात) ने दो वर्ष के परीक्षण के पश्चात् देसी कपास के लवण सहिष्णु तथा उच्च उपजशील वंशक्रम (जी कॉट 23) की पहचान की है। फील्ड प्रयोगों के द्वारा हरबेसियम कपास की खेती की प्रौद्योगिकी से जी कॉट 23 विकसित की गई है और इसे वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा किसानों तक पहुंचाया गया है। इस प्रौद्योगिकी का किसानों के खेतों में और अधिक परीक्षण किया गया है और प्रौद्योगिकी के प्रभाव का भी मूल्यांकन हुआ है।
प्रौद्योगिकी को अपनाना :
वर्ष 2011-13 (दो वर्षों के दौरान) भाल क्षेत्र (राजपाड़ा गांव, धोलेरा ताल्लुका, अहमदाबाद जिला) और बारा पट्टी (भड़ूच जिले के जम्बूसार ताल्लुका के बोजाद्रा और कलक गांव) तथा सौराष्ट्र (कोडिनार, मंगरोल और सूत्रपाड़ा) में किसानों के खेतों में परीक्षण किए गए जहां जी कॉट 23 किस्म से 1.8 से 1.9 टन प्रति हैक्टर उपज रिकॉर्ड की गई। इसके अतिरिक्त देसी कपास के अन्य वंशक्रमों की खेती कलक तथा बोजाद्रा गांव में भी की गई। इससे 1.6 से 1.9 टन/है. की बिनौला उपज मिली। हर्बेसियम कपास के वंशक्रमों की खेती अब भाल क्षेत्र, बारा पट्टी तथा सौराष्ट्र क्षेत्रों में लवणीय मिट्टियों में भी की जा रही है।
धांधुका ताल्लुका में ऑन-फार्म परीक्षण
अहमदाबाद जिले के धांधुका ताल्लुका में चार गांवों नामत: राजपुर, मिंगलपुर, शेला और कामतालाव में लवणीय वर्टिसाल मिटि्टयों में किसानों के खेतों में जी.कॉट 23 के खेत प्रदर्शन लगाए गए जिनसे यह संकेत मिला कि इन प्रदर्शनों में 1.7-1.82 टन/है. बिनौला उपज प्राप्त हो सकती है तथा ऐसा 9.4 से 10.2 ds/मी. वाली मृदा में भी किया जा सकता है।
देसी कपास की खेती के भौतिक प्रभाव
विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की साझेदारी में भा.कृ.अनु.प.-सीएसएसआरआई क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के अनवरत प्रयासों से भड़ूच, आणंद, अहमदाबाद और जूनागढ़ जिलों के तटवर्ती क्षेत्रों में लवण सहिष्णु हर्बेसियम कपास (जी.कॉट 23) की खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है। चूंकि लवण सहिष्णु किस्मों का निष्पादन लाभदायक पाया गया है, अत: अधिक से अधिक फार्म इकाइयों/किसानों ने इसकी खेती को अपनाया है जो प्रदर्शनों की बढ़ी हुई संख्या से भी पुष्ट होता है। चूंकि संकरों या बीटी वंशक्रमों की तुलना में देसी कपास की लागत बहुत कम है और यह लवणीय जल की सिंचाई में भी अनुकूल अनुक्रिया दर्शाती है, अत: इस क्षेत्र में कपास के देसी वंशक्रमों की खेती जोर पकड़ रही है।
आर्थिक प्रभाव
8-10 dS m-1 तक की लवणता से युक्त लवणीय भूमियों को हर्बेसियम कपास जी.कॉट 23 की खेती के अंतर्गत लाया गया है और यह राज्य के तीनों तटवर्ती क्षेत्रों में उगाई जा रही है। इसके परिणामस्वरूप विशेष रूप से दक्षिण गुजरात अर्थात् बोजाद्रा और कलक में सकल आय 70000/- से 75000/- रु/हैक्टर और शुद्ध आय 45000 से 50000/-रु. प्रति हैक्टर हुई है तथा लाभ लागत अनुपात 1.8 से 2.0 हो गया है।
प्रौद्योगिकी का लोकप्रियकरण
प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को अन्य वंशक्रमों की तुलना में देसी कपास के लाभ के बारे में, विशेष रूप से उनकी जल संबंधी कम आवश्यकता, उच्च लवण सहिष्णुता और लवणीय जल सिंचाई के प्रति बेहतर अनुक्रिया के बारे में किसानों को अवगत कराया गया। किसानों को मिट्टी और जल का नमूना लेने व फसल के उचित रखरखाव पर प्रशिक्षण दिया गया। उच्चतर उत्पादन और आमदनी के लिए लवण प्रभावित क्षेत्रों में देसी कपास की खेती के बारे में लवणीय क्षेत्र में किसानों के बीच जागरूकता सृजित करने के लिए किसान दिवस भी आयोजित किए गए।

एसएवीई (जम्बूसार), एटीएएपीआई (जम्बूसार) और एमएएचआईटीआई (धोलेरा) जैसे स्वयंसेवी संगठनों ने चुने हुए गांवों में किसानों को जी.कॉट 23 कपास की खेती के दौरान अपनाई जाने वाली उन्नत सस्यविज्ञानी विधियों के बारे में ध्वनि आधारित संदेश पहुंचाए। स्वयंसेवी संगठनों नामत: एसएवीई, एटीएएपीआई, एमएएचआईटीआई (सीएसपीसी, अहमदाबाद के माध्यम से) के सहयोग से किए गए हमारे निरंतर प्रयासों से भड़ूच, आणंद और अहमदाबाद जिलों के तटवर्ती क्षेत्रों में लवण सहिष्णु हर्बेसियम कपास की खेती का विस्तार हो रहा है।
(स्रोत:सीएसएसआरआई- क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द भड़ूच)
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram