नदी तट पर तरबूज की खेती से धेनकनाल के किसानों की आजीविका में सुधार

नदी तट पर तरबूज की खेती से धेनकनाल के किसानों की आजीविका में सुधार

watermelon-0126032014_0.jpgब्रहामणी नदी ओडिशा के धेनकनाल जिले के धेनकनाल सदर समूह के आस-पास बहती है। इस समूह के छह गांव नामत: क्षेकतारेलिबंधा, नौगांव, मंडपाल, तालागोथा, क्षेत्रेमारा और कोटापाला नदी की दाहिनी दिशा में स्थित हैं। यद्यपि यह नदी वर्षा पर निर्भर है तथापि रबी तथा गन्‍ने के मौसम के दौरान इसमें पर्याप्‍त जल रहता है। पहले इस क्षेत्र की मिट्टी बलुआ थी और इसमें कांस (सैकेक्‍टारेरम स्‍पोंटेनियम) नामक खरपतवार की गहनता थी। इस क्षेत्र के किसान नदी तट पर तरबूज की खेती करते थे। वर्ष 2004-05 में केवल 4 किसानों ने 1.6 हैक्‍टर क्षेत्र में तरबूज की खेती की और उन्‍हें 8.75 टन/हैक्‍टर की निम्‍न उत्‍पादकता प्राप्‍त हुई। वे कम उपजशील तथा निम्‍न गुणवत्‍ता वाली किस्‍मों और बीजों का उपयोग कर रहे थे।

एनएआईपी के हस्‍तक्षेप

वर्ष 2011-12 के दौरान 'ओडिशा के बारानी किसानों के लिए टिकाऊ ग्रामीण आजीविका व खाद्य सुरक्षा' के घटक 3 के अंतर्गत एनएआईपी परियोजना के अंतर्गत ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय (ओयूएटी), भुबनेश्वर तथा इसके कंसोर्टियम साझेदारों में उच्‍च गुणवत्‍ता वाली उच्‍च उपजशील किस्‍मों जैसे बीएसएस बेजो शीतल, शुगर बेबी, मधुबाला, करण, अगस्‍ता और पूनम की उन्‍नत प्रबंधन विधियों के साथ खेती से तरबूज उगाने वाले किसानों की आजीविका को सुधारने के प्रयास किए। खेती की विधियों पर प्रशिक्षण और महत्‍वपूर्ण निवेश संबंधी सहायता 14.8 हैक्‍टर क्षेत्र में तरबूज की खेती के लिए प्रदान की गई और इसमें 40 परिवारों को शामिल किया गया। इन प्रयासों से फसलों की उत्‍पादकता बढ़कर 25 टन प्रति हैक्‍टर हो गई। वर्ष 2011-12 के दौरान किसानों ने 14.8 हैक्‍टर क्षेत्र से 370 टन का कुल उत्‍पादन लिया और उनकी शुद्ध आय 65,000/-रु. प्रति हैक्‍टर तक बढ़ गई।

यह सफलता किसानों के बीच ऊर्जा प्रदान करने वाली सिद्ध हुई

watermelon-0226032014_0.jpg वर्ष 2012-13 के दौरान अन्य किसान भी तरबूज की खेती के लिए आगे आए। उन्‍होंने कांस को हटाकर जमीन को साफ किया तथा और अधिक क्षेत्र में तरबूज की खेती की। प्रत्‍येक किसान ने 0.8 हैक्‍टर क्षेत्र में तरबूज की फसल उगाई। बेहतर फसलोत्‍पादन, फसलों की देखभाल और विपणन के उद्देश्‍य से किसान समूहों में संगठित हुए।

एनएआईपी उप परियोजना द्वारा 28.8 हैक्‍टर क्षेत्र में 72 परिवारों को महत्‍वपूर्ण निवेश उपलब्‍ध कराए गए तथा प्रत्‍येक परिवार ने 0.4 हैक्‍टर के अतिरिक्‍त क्षेत्र में तरबूज की फसल उगाई। इसके अलावा 78 अन्‍य नए परिवारों ने, प्रत्‍येक में 0.8 हैक्‍टर के क्षेत्र में नदी तट पर तरबूज की खेती को अपनाया। वर्ष 2011-12 में तरबूज की खेती का क्षेत्र 14.8 हैक्‍टर था जो 2012-13 में बढ़कर 120 हैक्‍टर हो गया। यह वृद्धि अभूतपूर्व थी और किसानों ने 95,000/-रु. प्रति हैक्‍टर की दर पर 27,27,000 रु. का शुद्ध लाभ कमाया।

परियोजना का सफल परिणाम

उपपरियोजना द्वारा प्रदान की गई सहायता वाले क्षेत्र से हुए कुल उत्‍पादक में से 765 टन फल जिनका मूल्‍य 44,55,000 रु. था,ओडिशा के विभिन्‍न शहरों जैसे अंगुल, भुबनेश्वर , भद्रक, कटक, धेनकनाल, खुर्दा, केन्‍द्रपाडा और पट्टामुंडी तथा पड़ोस के विभिन्‍न राज्‍यों के अलग-अलग शहरों जैसे कोलकाता, शिलांग, सिल्‍चर, विजयवाड़ा और देवघा को भेजे गए। इसके साथ ही लगभग 9 टन का घरेलू उपभोग भी हुआ। इस परियोजना के माध्‍यम से महालक्ष्‍मी वेजिटेबल सप्‍लायर, कुआखिया और जाजपुर से भी सुदूर बाजारों में उपज का विपणन करने के लिए सम्‍पर्क स्‍थापित किया गया। अब इस क्षेत्र में तरबूज की खेती न केवल किसानों की आजीविका का स्रोत बन गई है बल्कि आस-पास के गांवों से महिलाओं के लिए पारिश्रमिक कमाने का भी साधन सिद्ध हो रही है।

(स्रोत: ओयूएटी भुबनेश्वर)

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