त्रिपुरा में वासभूमि में खेती से आय में वृद्धि तथा जैवविविधता का संरक्षण

त्रिपुरा में वासभूमि में खेती से आय में वृद्धि तथा जैवविविधता का संरक्षण

ss-icar-neh-29-07-2013-1_0.png केवल दो वर्ष पूर्व मोगपुष्‍करिणी (दक्षिणी त्रिपुरा) गांव के 45 वर्षीय श्री नारायण शुक्‍ला दास अपने जीवन की गहन गरीबी की दशा में थे। रिक्‍शा चलाकर होने वाली उनकी आय अनियमित तथा अपर्याप्‍त थी, लेकिन अब श्री नारायण का जीवन नाटकीय रूप से परिवर्तित हो गया है। अब वे एक अच्‍छी आजीविका कमा रहे हैं और अपने परिवार को भोजन संबंधी सुरक्षा उपलब्‍ध करा रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्‍द्र, केवीके, दक्षिण त्रिपुरा द्वारा दिए गए प्रदर्शन के माध्‍यम से श्री नारायण ने अपनी वासभूमि में खाद्यान्‍न उत्‍पादन शुरु किया और इसके साथ ही अब वे कुक्‍कुटपालन, बकरी पालन और मवेशी पालन कर रहे हैं तथा अपने वासभूमि मॉडल फार्म पर वर्षभर अनेक सब्जियां, मसाले, कंद फसलें और फल फसलें उगा रहे हैं।

उनके जीवन में यह नाटकीय परिवर्तन किस प्रकार आया?
श्री नारायण ने कृषि विज्ञान केन्‍द्र, दक्षिण त्रिपुरा से सब्जियों की खेती, केंचुए की खाद बनाने और खुम्‍बी उगाने, दलहनों और तिलहनों की खेती, कुक्‍कुटपालन आदि का प्रशिक्षण लिया। उन्‍होंने वर्षभर सब्जियां उगाने की तकनीक का भी ज्ञान प्राप्‍त किया। उन्‍होंने कृषि विज्ञान केन्‍द्र की तकनीकी सहायता से अपनी वास भूमि पर ग्रामीण मॉडल फार्म स्‍थापित किया। आरंभ में कृषि विज्ञान केन्‍द्र द्वारा उन्‍हें सब्जियों के, मसालों की रोपण सामग्री, कंद और फलों की कलमें; 15 दोहरी उद्देश्‍य वाली कुक्‍कुट और 2 बकरियां पालने के लिए उपलब्‍ध कराए गए। इसी के साथ फार्म पर कम्‍पोस्‍ट तैयार करने तथा जल संग्रहण के लिए क्रमश: एक वर्मी कम्‍पोस्‍ट और एक जलकुंड इकाई स्‍थापित की। श्री नारायण ने घरेलू कामों के साथ-साथ अपने बाग में भी काम किया तथा अपनी पत्‍नी के साथ अपनी फार्म उपज को बेचा।

कृषि विज्ञान केन्‍द्र द्वारा वासभूमि फार्मिंग प्रणाली के सफल प्रदर्शन के बाद श्री नारायण अब प्रतिमाह कम से कम 5000 रु. कमा रहे हैं और यह कमाई उन्‍हें अपने वासभूमि उद्यान से प्राप्‍त सब्जियों, खुम्‍बी, अंडों, कुक्‍कुटों तथा अन्‍य फार्म उत्‍पादों की बिक्री के द्वारा होती है। ग्रामों के सीमित संसाधनों, औसत जोतों के सिकुड़ने व जैव-संसाधनों के स्‍व–स्‍थाने संरक्षण की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्‍द्र, दक्षिण त्रिपुरा द्वारा 8 फील्‍ड प्रदर्शन आयोजित किए गए ताकि नाबार्ड के ग्रामीण नमोन्‍मेष कार्यक्रम के अंतर्गत दक्षिण त्रिपुरा के वासभूमि में मौजूद विद्यमान फार्मों का उन्‍नयन किया जा सके। प्रतिभागी किसानों को अनुकूल रूप से तैयार किए गए प्रशिक्षण माडयूलों के माध्‍यम से वासभूमि खेती के बारे में प्रशिक्षित किया गया। इसके अंतर्गत उनकी क्षमता निर्माण पर अधिक ध्‍यान दिया गया ताकि वे फार्म की विद्यमान दशाओं के अंतर्गत प्रौद्योगिकी को अपना सकें।

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दक्षिण त्रिपुरा के दुधपुष्‍करिणी गांव में नारायण शुक्‍ल दास का वासभूमि फार्म
दक्षिण त्रिपुरा के सभी वासभूमि किसानों में नारायण सर्वश्रेष्‍ठ तथा सर्वाधिक सफल किसान हैं जो सब्जियों, मसालों और कंद फसलों की खेती करके और इसके साथ ही अंडा, कुक्कुट मांस और बकरी मांस या बकरी के बच्‍चों का उत्‍पादन करके सर्वाधिक लाभ प्राप्‍त कर रहे हैं। श्री नारायण ने अपनी मात्र 0.20 हैक्‍टर वासभूमि का उपयोग करके प्रति वर्ष लगभग 81,000/-रु. का लाभ कमाया है।

यद्यपि श्री नारायण निरक्षर हैं लेकिन फिर भी इस कार्यक्रम के माध्‍यम से ये वासभूमि फार्मिंग के लिए परिश्रमी होने के नाते अन्‍य सभी के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं। वासभूमि खाद्य उत्‍पादन कार्यक्रम की उनकी सफलता की यह कहानी दक्षिण त्रिपुरा के अन्‍य किसानों को वासभूमि उद्यान स्‍थापित करने की प्रेरणा दे रही है। सुदूर गांवों से आने वाले अनेक किसान उनका फार्म देखते हैं और इस प्रणाली के बारे में सीखते हैं। बैंक अधिकारियों तथा अन्‍य वित्‍तीय संगठनों के एक समूह ने भी वासभूमि फार्मिंग से होने वाले लाभों को प्रत्‍यक्ष देखने के लिए तथा त्रिपुरा राज्‍य के जरुरतमंद किसानों के लिए बैंक से वित्‍त संबंधी सहायता उपलब्‍ध कराने में क्‍या भूमिका निभाई जा सकती है, इसके बारे में प्रत्‍यक्ष जानकारी प्राप्‍त करने हेतु श्री नारायण के फार्म का दौरा किया है।

परियोजना के पूर्व इस क्षेत्र में रहने वाले वासभूमि किसानों की फसल तथा पशुधन उत्‍पादन की मात्रा बहुत कम थी। उत्‍पादन मात्र आजीविका चलाने के लिए ही पर्याप्‍त था। परियोजना के प्रदर्शन के परिणामस्‍वरूप इस परियोजना क्षेत्र के किसान परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल गया है। वासभूमि फार्म का सब्‍जी और फसलों का उत्‍पादन बढ़ गया है। इसके अतिरिक्‍त इस वासभूमि फार्मिंग प्रणाली में सब्जियों की (भिंडी, लोबिया और कोल फसलों की), खुम्‍बी की उन्‍नत किस्‍में; वर्मी कम्‍पोस्‍ट, मसालों (अदरक, मिर्च), कंद फसलों (अरबी, एलिफेंट फुटयाम, डिस्‍कोरिया) की उन्‍नत किस्‍मों की खेती शुरू की गई है। किसान वासभूमि फार्म की प्रति इकाई से 1400 अंडे, 28 कि.ग्रा. कुक्‍कुट मांस, 6 बकरी के बच्‍चे, 140 कि.ग्रा. खुम्‍बी, 1700 कि.ग्रा. सब्जियां, 448 कि.ग्रा. कंद तथा मसाला फसलें उगाने में सफल हुए हैं। वासभूमि फार्म के सभी घटकों जो जोड़कर तथा उन्‍हें समेकित करके छोटे किसानों को अत्‍यधिक लाभ प्राप्‍त करने में सहायता मिली है। किसान 0.16 हैक्‍टर भूमि क्षेत्र से निरंतर अधिक उपज लेते हुए प्रति वर्ष 67705 रु. का लाभ कमा रहे हैं।

(स्रोत: परियोजना समन्‍वयक, कृषि विज्ञान केन्‍द्र,उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र के लिए भा.कृ.अनु.प. अनुसंधान परिसर, दक्षिण त्रिपुरा)

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