समन्वित खेती प्रणाली ने कश्मीर घाटी के सीमांत किसानों को रोल मॉडल बनाया

समन्वित खेती प्रणाली ने कश्मीर घाटी के सीमांत किसानों को रोल मॉडल बनाया

smaller_grapes_due-02-08072016_0.jpgश्री गौहर अहमद गनी, आयु 28 वर्ष, दक्षिण कश्मीर के कुलगाम से दो कि.मी. की दूरी पर स्थित बोगुंड गांव के निवासी हैं। उनके पास 0.35 हैक्टर पारिवारिक जमीन है। वे पारंपरिक रूप से खरीफ में चावल और रबी के मौसम में भूरी सरसों की खेती करते थे। अपर्याप्त आय की समस्या ने श्री गौहर के साथ ही उनके भाई श्री तारक अहमद को नए विकल्प की तलाश करने के लिए प्रेरित किया।

श्री गौहर केवीके कुलगाम द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों व जागरूकता कैंप में भाग लेने के साथ ही केन्द्र के वैज्ञानिकों से बातचीत भी किया करते थे। इस संपर्क ने उन्हें कृषि के विविधीकरण की तरफ आकर्षित किया। छोटे भाइयों व महिला सदस्यों सहित उत्साहित परिवार ने मुर्गी पालन, मछली पालन, बागवानी और पुष्पोत्पादन में केवीके कुलगाम के तकनीकी सहयोग से लाभकारी खेती की नई विधियों को अपनाया। इस प्रकार से केवीके ने श्री गनी को विभिन्न योजनाओं की जानकारी तथा खेती के लिए महत्वपूर्ण आदान प्रदान किए। इनके सहयोग से उन्होंने वैज्ञानिक विधि पर आधारित समन्वित खेती को अपनाया।

उन्होंने मात्स्यिकी विभाग के सहयोग से 0.1 हैक्टर आकार के तालाब में मछली पालन शुरू किया। उनकी लगन एवं रूचि को देखते हुए एसकेयूएएसटी- कश्मीर ने उन्हें कुक्कुट पालन के लिए चूजे दिए। कुक्कुट किस्म 'वनराज' एवं 'कुरोलियर' की भारी मांग की वजह से उन्होंने कुक्कुट विकास विभाग से अतिरिक्त चुजों की आपूर्ति के लिए संपर्क किया। इसके अलावा कृषि एवं बागवानी विभागों ने दो पॉलीहाउस और ऑफ-सीजन (गैर-मौसमी) सब्जी उत्पादन के लिए आदानों के साथ ही बाजार में जल्दी पौधों की आपूर्ति के लिए नर्सरी स्थापना में भी सहयोग किया। हाल ही में पुष्पोत्पादन विभाग द्वारा उन्हें चार पॉलीहाउस और फूल व सजावटी पौधे उगाने वाले चार गमले दिए गए। केवीके ने उन्हें कृषि उत्पादों की बिक्री में भी सहयोग दिया। श्री गनी ने क्षेत्र में भारी मांग वाले लॉन घास और सजावटी पौधों का भी बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू किया।

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smaller_grapes_due-04-08072016_0.jpg प्रभाव

इससे पहले श्री गनी की आय लगभग 23,000 रु./वर्ष थी। कुक्कुट पालन, मात्स्यिकी, पुष्पोत्पादन और खेती के एकीकरण द्वारा वर्ष 2013 में उनकी वार्षिक आय लगभग 2.77 लाख रु. हो गई। इन प्रयासों के कारण अब उनके परिवार की मासिक आय बढ़कर 1.6 लाख रु. तथा वार्षिक आय लगभग 19 लाख रु हो चुकी है। 19 लाख रुपये की इस वार्षिक आय में मछली पालन से 1.36 लाख रु., कुक्कुट पालन से 7.24 लाख रु., गमले वाले फूलों व सब्जियों के पौधों की बिक्री से 1.52 लाख रु. तथा बागवानी से 9.0 लाख रु. का योगदान है।

श्री गनी की इस सफलता से प्रभावित होकर केवीके ने ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए उन्हें अतिथि प्रशिक्षक के तौर पर आमंत्रित किया है। समन्वित खेती के प्रसार के लिए उन्होंने अन्य किसानों को अपने खेत का दौरा करने की सुविधा प्रदान की है। इन उपलब्धियों के कारण श्री गौहर अहमद गनी अपने क्षेत्र में 'आदर्श किसान' के रूप में प्रसिद्ध हैं।

(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

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