श्री रमेश वर्मा, कसीमपुर बिरूहा, लखनऊ के किसान एक नवोन्मेषी एवं उत्साही सीमांत किसान (0.506 है.) हैं। उन्होंने पहली बार लखनऊ जिले में सफलतापूर्वक विदेशी सब्जियों की खेती प्रारंभ की। इससे पहले वे अपने पिता के साथ चावल व गेहूं तथा बंदगोभी, फूलगोभी, टमाटर, आलू तथा केले की खेती करते थे। इस प्रकार की खेती केवल घरेलू खर्च ही निकाल पा रही थी। तेजी से सीखने वाले तथा नवोन्मेषी स्वभाव के श्री वर्मा ने नई फसलों की खेती करना शुरू किया। इस क्रम में उन्होंने केवीके, भाकृअनुप - भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर), लखनऊ, से संपर्क किया तथा ब्रोकली के बीज प्राप्त कर खेती करना प्रारंभ किया। उन्होंने वर्ष 2009 से 2010 तक ब्रोकली की खेती से अच्छी आय प्राप्त की।


केवीके, आईसीएआर- आईआईएसआर, लखनऊ द्वारा वर्ष 2010-11 में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिससे श्री वर्मा ने विदेशी सब्जियों के बारे में विस्तृत जानकारियां प्राप्त की। उन्होंने प्रौद्योगिकी मार्गदर्शन तथा बीज सामग्रियों की उपलब्धता से संबंधी अधिक जानकारी के लिए केवीके से संपर्क किया। संपर्क के परिणामस्वरूप केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा ब्रोकली, पार्सले, लाल गोभी, चीनी गोभी, चेरी टमाटर आदि की खेती के लिए बीज सामग्रियों की व्यवस्था की गई। बुआई से लेकर कटाई तक सभी पहलुओं पर श्री वर्मा को केवीके के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त हुआ। खेती की अवधि में केवीके के वैज्ञानिकों ने उनके खेत पर नियमित दौरे किये। इस प्रकार से उन्होंने वर्ष 2010-11 की तुलना में ज्यादा शुद्ध आय प्राप्त की तथा इससे प्रेरित होकर वर्ष 2011-12 मंत उन्होंने अपने पूरे खेत (0.506 है.) में विदेशी सब्जियों की खेती की। इसके परिणामस्वरूप श्री वर्मा अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध किसान बनने के साथ ही विदेशी सब्जियों के खेती विशेषज्ञ भी बन गये। खेती विधि में मार्गदर्शन के साथ ही केवीके वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें विदेशी सब्जियों के विक्रय के लिए बाजार की उपलब्धता खोजने में भी सहयोग दिया गया। इस प्रकार से बहुराष्ट्रीय विक्रेताओं तथा होटलों द्वारा उनकी सब्जियां क्रय की गई।
आर्थिक पक्ष
विदेशी सब्जियों की 0.506 हैक्टर में खेती की लागत 26,400 रु. आई जिससे वर्ष 2011-12 में क्रमशः कुल 336,500 रु. तथा 310,100 रु. की शुद्ध आय प्राप्त हुई। आय गणनाः लागत अनुपात की गणना शुद्ध आय के आधार पर की गई है। खेती की लागत 1 : 11.75 थी जो सीमांत किसान श्री रमेश वर्मा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
श्री वर्मा ने बहुत से किसानों को अधिक आय लेने हेतु इस प्रकार की सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार से वह अपने क्षेत्र के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
दूर-दराज स्थानों के लगभग 300 किसानों, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 250 प्रशिक्षुओं के साथ ही विभिन्न निजी एजेंसियों द्वारा श्री वर्मा के खेत के दौरे किए गए हैं। आईसीएआर-आईआईएसआर, क्यूआरटी, लखनऊ द्वारा भी उनके खेत का दौरा किया गया, जिन्होंने इस प्रकार के दूरस्थ गांव में विदेशी सब्जियों की खेती विधि की काफी सराहना की।
(स्रोतः कृषि विज्ञान केन्द्र, आईसीएआर- आईआईएसआर, लखनऊ)
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