कृषि आय बढ़ाने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के विभिन्न साधनों में से, कृषि और इसके संबद्ध क्षेत्रों में मूल्य-श्रृंखला की संभावना समर्थन किया जा रहा है। डॉ त्रिलोचन महापात्रा, सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर) (पूर्व निदेशक, आईसीएआर-एनआरआरआई) ने इसे सर्वप्रथम चावल में परिचालित करने का प्रयास किया। उनके अनुसार, चावल मूल्य-श्रृंखला के कुछ मौलिक लाभों के अलावा कुछ अन्य संभावनाएं भी हैं (i) कम आर्थिक-लाभ और बाजार बहुलता (मार्केट ग्लट) के बावजूद विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों से कृषि में चावल की खेती प्रमुख तौर पर की जाती रहेगी, (ii ) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुणवत्तायुक्त चावल की मांग स्पष्ट तौर पर है (iii) अतिरिक्त रोजगार के सृजन हेतु किसानों के अलावा अन्य स्टेकहोल्डर (हितधारक) भी इस श्रृंखला में शामिल हो सकते हैं और (iv) अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित गुणवत्तायुक्त और विशिष्ट चावल की किस्मों का प्रसार कम निवेश के साथ तेजी से किया जा सकता है। उपर्युक्त तर्क को ध्यान में रखते हुए, इस मॉडल की योजना प्रारंभ की गई थी।
मॉडल की योजना बनाना:
इस मॉडल के उद्देश्यों, हितधारकों, गतिविधियों, संपर्कों, प्रत्येक पक्ष की जिम्मेदारियों और प्राप्त लाभ को साझा करने का निर्णय लेने के लिए कई मंथन सत्रों, परामर्शों और संकेंद्रित समूह-चर्चाओं का आयोजन किया गया। अंतिम रूप से, सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) मोड में आईसीएआर-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक सहित पांच पक्षों की जरूरत सहित एक श्रृंखला बन कर सामने आई।
प्रक्रिया:
चावल की फसल हेतु मूल्य-श्रृंखला का उद्देश्य, इस संस्थान की उच्च गुणवत्तायुक्त चावल की किस्मों को खेती में व्यापक स्तर पर बढ़ाना, इसका प्रसंस्करण और व्यापार करना है जिससे उपभोक्ताओं की इसकी प्रीमियम गुणवत्ता तक पहुंच हो सके और इस मूल्य-श्रृंखला में सम्मिलित सभी पक्षों को लाभ मिल सके। चावल संसाधकों (प्रोसेसर) और व्यापारियों के परामर्श से प्रथम पक्ष अर्थात् आईसीएआर-एनआरआरआई, कटक ने एक लंबे व पतले दाने वाली (स्लेंडर) सुगंधित चावल की किस्म गीतांजलि को इस चावल मूल्य-श्रृंखला में शामिल किए जाने का निर्णय लिया। इस किस्म को विकसित करने तथा इसकी विशेषताओं के बारे में जानकारी के कारण यह संस्थान इसके रखरखाव और गुणवत्तायुक्त चावल उत्पादन में लगा हुआ है। यह संस्थान, चावल की गीतांजलि किस्म के प्रजनक बीजों ( ब्रीडर-सीड) से फाउंडेशन बीज तैयार करने के लिए एक बीज कम्पनी को ब्रीडर सीड देता है ताकि श्रृंखला में सहभागी किसानों द्वारा उसका उपयोग किया जा सके। ग्रामीण इलाकों में इस श्रृंखला में किसानों और महिला कृषकों सहित हितधारकों का एक और समूह भी शामिल हैं, जो चावल पारिस्थितिकी का सर्वेक्षण करने, किसानों को श्रृंखला में भाग लेने के लिए प्रेरित करने, उत्पादन की निगरानी और चावल संसाधकों -सह-व्यापारी द्वारा उत्पादन को ले जाने जैसी जरूरतों की व्यवस्था करता है। इस श्रृंखला की अंतिम कड़ी चावल संसाधक और व्यापारी होता है जो उत्पादन स्थल से उत्पादन को ले जाता है और किसानों को एमएसपी की तुलना में बेहतर कीमत पर तत्काल भुगतान करता है। प्रोसेसर-सह-व्यापारी अंततः चावल की गुणवत्ता को बनाए रखने और उसकी बिक्री के लिए मूल्य निर्धारण की रणनीति तैयार करके चावल की इस किस्म के लिए बाजार मांग तैयार करता है। प्रतिभागियों के ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से प्रत्येक पक्ष की जिम्मेदारियों और उन्हें प्राप्त होने वाले लाभ का निर्णय लिया गया है जिसे सभी की सहमति प्राप्त है।
चावल मूल्य श्रृंखला में
प्रथम पक्ष - आईसीएआर-एनआरआरआई, कटक गीतांजलि किस्म ब्रीडर बीजों की आपूर्ति के लिए, तकनीकी जानकारी (बैकस्टॉपिंग) और संपूर्ण निगरानी);
दूसरा पक्ष- संसार एग्रोपोल प्राइवेट लिमिटेड., भुवनेश्वर, (एक बीज कंपनी जो सत्यनिष्ठा लेबल वाले बीजों का बहुलीकरण और किसानों को उनके इच्छित स्थान पर इन बीजों की आपूर्ति करती है);
तीसरा पक्ष- अनन्या महिला विकास समिति संकीलो, निश्चिंताकोयली, कटक (महिला कृषकों का समूह जो बड़ी संख्या में किसानों को संगठित करके अनाज उत्पादन करता है);
चौथा पक्ष- महांगा कृषक विकास मंच , कटक (कृषकों का समूह जो बड़ी संख्या में किसानों को संगठित करके अनाज उत्पादन करता है); तथा
पॉचवां पक्ष- साबित्री इंडस्ट्रीज, प्राइवेट लिमिटेड, मयूरभंज (चावल संसाधक और व्यापारी, जो किसानों से अनाज खरीदकर उन्हें एमएसपी से 20 प्रतिशत अधिक पर देता है, उत्पाद के प्रसंस्करण और बिक्री की जिम्मेदारी लेता है)।
पहले चक्र की सफलता:
इस कार्यक्रम के तहत खरीफ-2015 के दौरान टीएल बीज के पर्याप्त मात्रा में संवर्द्धन के लिए आईसीएआर-एनआरआरआई, भुवनेश्वर द्वारा 6.5 क्विंटल गीतांजलि के प्रजनक बीज की आपूर्ति मैसर्स संसार एग्रोपोल प्राइवेट लिमिटेड, भुवनेश्वर को की गई थी। उड़ीसा के चार अलग-अलग स्थानों में बीज उत्पादन के तहत कुल 49.5 एकड़ जमीन को लिया गया था। रबी 2015-16 के दौरान चावल उत्पादन हेतु लगभग 1000 हेक्टेयर क्षेत्र को सम्मिलित करने के लिए कंपनी द्वारा सच्चे लेबल वाले (टीएल) बीज के लगभग 500 क्विंटल का उत्पादन किया गया था। एनआरआरआई की निगरानी टीम ने बीज उत्पादन के विभिन्न स्थलों का दौरा किया और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कंपनी को उपयुक्त सलाह दी।
"चावल की गीतांजलि किस्म की खेती के पैकेज" पर उडिया भाषा में एक ब्रोशर तैयार किया गया और किसानों और बीज उत्पादकों को उनके उपयोग के लिए वितरित किया गया। आईसीएआर-एनआरआरआई, कटक के वैज्ञानिकों और मिल मालिकों में परस्पर विश्वास पैदा करने के लिए चयनित इलाकों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
दो किसान समूहों (तीसरा और चौथा पक्ष) की भागीदारी और जुड़ाव के साथ, शुष्क मौसम/रबी -2016 के दौरान 82 किसानों को शामिल करते हुए खुर्दा और कटक जिलों में तीन समूहों ने 166 एकड़ भूमि में अनाज का उत्पादन किया। फसल की औसत उपज 4-4.5 टन/हे0 दर्ज की गई । घरेलू खपत और बीज के लिए अनाज रखने के बाद, सहभागी किसानों द्वारा 202 टन धान पॉंचवे पक्ष अर्थात् साबित्री इंडस्ट्रीज को रु. 1,740/-प्रति क्विंटल (यानि, एमएसपी से 20% अधिक) की दर से कुल रु. 35.15 लाख रूपए के बीजों का विक्रय किया। समझौते के अनुसार, खरीद की तारीख से दस दिनों के भीतर सभी किसानों को भुगतान किया गया। अब, पॉंचवें पक्ष द्वारा अनाज को प्रसंस्कृत करके बिक्री के लिए उनकी पैकिंग की जा रही है।
(स्रोत: आईसीएआर- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक)
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