विभिन्न कीट-नाशीजीवों में से, प्ररोह गॉल सॉयला, एप्सॉइला सिस्टेलैटा (साइलीडिये : होमोप्टेरा) आम की फसल में नुकसान करने वाले नाशीजीव है जिसके कारण पत्तियों के बीच वाले कोण पर गुटिका बन जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप पुष्पक्रम में रूकावट आती है और बाद में अधिकांश प्रभावित पत्तियां मुरझा जाती हैं। एक आकलन के अनुसार, उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में 4000 हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्रफल प्ररोह गॉल सॉयला के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित है। पिछले एक दशक से, देहरादून जिले में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रकोप में पर्याप्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। इससे पहले, प्ररोह गॉल सॉयला की रोकथाम करने हेतु मोनोक्रोटोफॉस, डाइमिथोएट और क्विलनफॉस कीटनाशक का प्रयोग करने की सिफारिश की गई लेकिन इन कीटनाशकों का प्रयोग करने पर भी पिछले 6-7 वर्षों से किसानों को इस रोग प्रकोप से कोई राहत नहीं मिल पा रही है जिसका कारण इन कीटनाशकों का लगातार प्रयोग करना और कृषि पर्यावरण परिस्थितियों में बदलाव होना हो सकता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, देहरादून द्वारा आम फसल में प्ररोह गॉल सॉयला की प्रभावी तरीके से रोकथाम करने के प्रयोजन से भाकृअनुप – केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ से सम्पर्क किया गया। संस्थान ने थिआमिथॉक्सम 1 ग्राम/लिटर जल + प्रोफिनोफॉस 2 मिलि./लिटर जल + स्टिकर 1/2 मिलि./लिटर जल का प्रयोग करने का सुझाव दिया। पूर्व में संस्तुत कीटनाशकों और वर्तमान सुझावों के साथ प्रदर्शन लगाये गये जिसमें थिआमिथॉक्सम 1 ग्राम/लिटर जल + प्रोफिनोफॉस 2 मिलि./लिटर जल का दो बाद छिडकाव करने पर अधिकांश प्रभावित फलोद्यानों में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रकोप में 90 प्रतिशत तक कमी आई।
प्रौद्योगिकी
कीटनाशकों यथा थिआमिथॉक्सम 1 ग्राम/लिटर जल + प्रोफिनोफॉस 2 मिलि./लिटर जल + स्टिकर 1/2 मिलि./लिटर जल का प्रयोग आम की फसल में प्ररोह गॉल सॉयला की रोकथाम में सबसे अधिक प्रभावी पाया गया। दोनों कीटनाशकों का दो बार प्रयोग करने की सलाह दी गई जिसमें पहला छिड़काव अगस्त के तीसरे सप्ताह में और इसके 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केन्द्र, देहरादून की सलाह पर किसानों द्वारा किए गए इन कीटनाशकों के छिड़काव से न केवल आम की फसल में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रकोप को रोकने में मदद मिली वरन् इससे आम फल की उत्पादकता भी दोगुनी हुई।
प्रौद्योगिकी का प्रभाव
अगस्त – सितम्बर, 2013 में देहरादून जिले के विकासनगर ब्लॉक में गांव बडवाला के किसानों द्वारा 21 हेक्टेयर क्षेत्र में संस्तुत कीटनाशकों के दो छिड़काव किए गए। किसानों ने जनू-अगस्त, 2017 में 2100 वृक्षों से लगभग 4000 क्विंटल आम उपज हासिल की।
देहरादून जिले के विकासनगर और सहसपुर ब्लॉक में 24 गांवों में किसानों द्वारा लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में संस्तुत कीटनाशकों के दो छिड़काव किए गए । इन कीटनाशकों का छिड़काव करने पर प्ररोह गॉल सॉयला के प्रकोप में उल्लेखनीय रूप से कमी आई और आम की उत्पादकता बढ़ी। एक आकलन और रिकॉर्ड किए गए आंकडों के अनुसार, किसानों ने जून – अगस्त, 2015 में 200 हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 40,000 क्विंटल आम पैदावार हासिल की।
पिछले तीन वर्ष के दौरान, प्ररोह गॉल सॉयला के प्रबंधन वाले कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली और वह वर्ष 2013 में 21 हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2015 में 1200 हेक्टेयर तक हो गया। एक आकलन के अनुसार और कृषि विज्ञान केन्द्र, देहरादून द्वारा अगस्त, 2016 में चलाये गए अभियान के परिणामस्वरूप यह अपेक्षा की जाती है कि वर्ष 2016 में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रबंधन में अतिरिक्त 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को शामिल किया जाएगा।
उपरोक्त प्रबंधन करने से आम की उत्पादकता 9.6 मिलियन टन/हे. से बढ़कर 20.0 मिलियन टन/हे. तक बढ़ी। अगस्त – सितम्बर, 2013 के दौरान कुल 2100 आम वृक्षों पर गांव बडवाला में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रबंधन पर किए गए प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेपों के कारण स्पष्ट रूप से प्रभाव को देखा जा सकता है जिससे कि पड़ोसी किसानों का विचार भी बदला।
वर्ष 2013 से 2016 की अवधि के दौरान आम की फसल में प्ररोह गॉल सॉयला के प्रभावी प्रबंधन से किसानों की आमदनी बढ़ी। आम फलोद्यानों से संकलित किए गए आंकडों और किसानों के साथ की गई आपसी बातचीत से पता चला कि पिछले तीन वर्षों में आम की फसल में प्ररोह गॉल सॉयला की रोकथाम करने से किसानों द्वारा लगभग 6.0 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी अर्जित की गई।
(स्रोत : कृषि विज्ञान केन्द्र, देहरादून)
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