किसानों के पास उपलब्धस चैम्पियन सांड केश्रेष्ठr मुर्राह जननद्रव्ये का संरक्षण एवं प्रवर्धन

किसानों के पास उपलब्धस चैम्पियन सांड केश्रेष्ठr मुर्राह जननद्रव्ये का संरक्षण एवं प्रवर्धन

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भारत में उपलब्‍ध लगभग 55 मिलियन प्रजनन योग्‍य नर भैंसों में से मुश्किल से 15 प्रतिशत में ही कृत्रिम निषेचन विधि का प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक रूप से प्रजनन हेतु सहवास क्रिया के लिए 1,00,000 से अधिक सांडों और फ्रोजन वीर्य उत्‍पादन के लिए 5000 – 6000 सांडों की जरूरत है। इस मांग को पूरा करने के लिए अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले सांडों अथवा नर भैंसों का मिलना मुश्किल है। आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम में आनुवंशिकीय रूप से श्रेष्‍ठ सांडों से गुणवत्‍ता हिमीकृत वीर्य उत्‍पादन करने की और बड़े पैमाने पर कृत्रिम निषेचन विधि को अपनाने की जरूरत होती है। ऐसे श्रेष्‍ठ सांड दुर्लभ अथवा कम होते हैं जो कि कुछ ही प्रगतिशील किसानों/गैर सरकारी संगठनों के पास अलग-थलग होते हैं और इनका उपयोग अपने आसपास के इलाके में प्राकृतिक सहवास क्रिया के लिए एक सीमित सीमा में किया जाता है। इससे इस बात का खतरा उत्‍पन्‍न होता है कि आने वाले समय में यह अमूल्‍य जननद्रव्‍य जीनपूल से लुप्‍त हो सकता है।

भाकृअनुप –केन्‍द्रीय भैंस अनुसंधान संस्‍थान (ICAR-CIRB), हिसार द्वारा वीर्य संकलन करके और क्रायो संरक्षण करके ऐसे श्रेष्‍ठ मुर्राह सांडों के संरक्षण और प्रवर्धन में एक अनूठा कार्य किया गया । इसके अलावा, संतति और मादा पशु की प्रजनन क्षमता के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल करके नस्‍ल विशेषताओं और प्रजनन क्षमता के लिए सांड की सामान्‍य जांच की जाती है। सांडों की जांच किसी भी प्रकार के संक्रामक रोग का पता लगाने के लिए की गई और उपयुक्‍त अथवा फिट और रोग के प्रति नकारात्‍मक पाए जाने वाले सांडों के वीर्य का संकलन किसानों के घर पर किया जाता है । संकलित वीर्य की जांच उसकी सामान्‍यता का पता लगाने के लिए की जाती है  और उसे फ्रीजिंग के लिए प्रसंस्‍कृत किया जाता है। साथ ही वीर्य के पिघलने के उपरांत मूल्‍यांकन वीर्य स्‍ट्राव में भण्‍डारित फ्रोजन की जांच की जाती है। इस वीर्य को इच्‍छुक किसानों को उपलब्‍ध कराया जाता है। पशु मालिक को उसकी सहमति के अनुसार भुगतान किया जाता है अथवा फा्रेजन वीर्य की आधी खुराक दी जाती है। इस कार्यक्रम को हरियाणा के पानीपत जिले में गांव दिदवाडी में राष्‍ट्रीय चैम्पियन मुर्राह सांड नामत: 'गोलू' के साथ जून, 2008 में शुरू किया गया था। अभी तक,हरियाणा और पंजाब के विभिन्‍न भागों से 13 श्रेष्‍ठ सांडों से वीर्य का संकलन करके उसे फ्रोजन अवस्‍था में भण्‍डारित किया गया है। ऐसे श्रेष्‍ठ नस्‍ल के सांडों से अभी तक फ्रोजन वीर्य की कुल 20,271 खुराकें उत्‍पन्‍न की जा चुकी हैं और कुल 10567 खुराकों को किसानों को बेचा जा चुका है अथवा इसकी आपूर्ति की जा चुकी है। वर्तमान में, कुल 9704 खुराकें  भण्‍डारित  हैं ।

(स्रोत : भाकृअनुप – केन्‍द्रीय भैंस अनुसंधान संस्‍थान (ICAR-CIRB), हिसार)

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