श्रीमती मणिमारन, तमिल नाडु के नामक्कल जिले में गांव पेरियापेट्टी की एक सीमांत पोल्ट्री किसान हैं जिनके पोल्ट्री फार्म में 20,000 लेयर चूजों की क्षमता है। इससे पहले, इनके द्वारा बाजार से खरीद कर लेयर (अण्डा लेयर्स) चूजें विकसित किए जा रहे थे और इन्हें अपने फार्म से बहुत कम आमदनी हो पाती थी। कुछ समय पहले इन्होंने मन्नूथी, केरल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत पोल्ट्री प्रजनन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना में कार्यरत वैज्ञानिकों से सम्पर्क साधा। यहां इन्होंने पोल्ट्री प्रजनन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत पिछले 34 वर्षों से भी अधिक समय तक मन्नूथी में वांछनीय अण्डा भार के साथ उच्च अण्डा उत्पादन के लिए विकसित किए गए लेयर चूजा के IWN तथा IWP वंशक्रमों के क्रास अधिक उपज वाले ताप सहिष्णु अतुल्य स्ट्रेन (ILM-90) के बारे में जानकारी हासिल की। इस परियोजना का समन्वय एवं निगरानी भाकृअनुप – पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद द्वारा की जाती है।
श्रीमती मणिमारन ने एक दिन की आयु अवस्था वाले कुल 2800 अतुल्य चूजों को मन्नूथी केन्द्र से खरीदा और पोल्ट्री प्रजनन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के वैज्ञानिकों की निगरानी में इनका पालन प्रारंभ किया। इन्होंने गहरे लिटर हाउस में चूजों को पाला और पक्षियों के अन्य स्ट्रेनों की तुलना में कमतर चूजा एवं बढ़वार मृत्यु दर अनुभव की। 16 सप्ताह की आयु अवस्था में, युवा मुर्गियों को लेयर पिंजरों में भेजा गया। 16 सप्ताह की आयु अवस्था में मुर्गियों ने अण्डे देना प्रारंभ किया। श्रीमती मणिमारन ने 130वें, 149वें और 208वें दिन की आयु अवस्था में क्रमश: 5 प्रतिशत, 50 प्रतिशत एवं 90 प्रतिशत अण्डा उत्पादन हासिल किया। अण्डों का भार क्रमश: 50.6 ग्राम, 53.8 ग्राम और 57.8 ग्राम पाया गया।
श्रीमती मणिमारन ने यहां तक कि अण्डा जनने की प्रारंभिक अवस्था में मुर्गियों द्वारा दिए गए बड़े अण्डों के लिए कहीं अधिक मूल्य (प्रति 100 अण्डे रूपये 4-5 अधिक) प्राप्त किए। अण्डा जनने की अवधि के दौरान मृत्यु दर भी कम थी। एक पूर्ण उत्पादन चक्र (72 सप्ताह की आयु तक) में इन्होंने प्रति मुर्गी लगभग 303 अण्डे पाए। चुने गए पक्षियों के लिए कहीं अधिक शरीर भार से भी श्रीमती मणिमारन ने अधिक मूल्य हासिल किया। साथ ही इन्होंने यह महसूस किया कि गर्मियों के महीनों में चूजे ताप सहिष्णु थे।
श्रीमती मणिमारन ने कुल 2800 अतुल्य चूजों से लगभग 2,92,100 रूपये का लाभ कमाया। इन्होंने पक्षियों के आहार पर रूपये 18,24,800/-; चूजों की खरीद पर रूपये 56,000/-; मजदूरी पर रूपये 54,000/-; तथा विविध खर्च के रूप में रूपये 18,200/- का व्यय किया। श्रीमती मणिमारन ने अण्डा बिक्री से रूपये 20,77,920/-; स्पेंट मुर्गियों की बिक्री से रूपये 1,48,200/-; पोल्ट्री खाद से रूपये 2,600/-; तथा पोल्ट्री आहार के खाली जूट थैलों की बिक्री करके रूपये 16,380/- का राजस्व अर्जित किया।
अब इनकी योजना अपने फार्म हाउस में अतुल्य चूजों के स्टॉक को बढ़ाने की है। श्रीमती मणिमारन अतुल्य चूजों और जरूरी मार्गदर्शन के लिए पोल्ट्री प्रजनन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, मन्नूथी केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ लगातार सम्पर्क में हैं। साथ ही इनके द्वारा अतुल्य लेयर चूजा पालन के लिए अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पोल्ट्री प्रजनन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, मन्नूथी केन्द्र द्वारा अधिक अण्डा उत्पादन करने वाले लेयर चूजा स्ट्रेन अतुल्य का विकास करके क्षेत्र में लेयर चूजा किसानों में खुशहाली लाई गई है। अधिक उत्पादन के साथ साथ अतुल्य में कहीं अधिक रोग प्रतिरोधिता और ताप सहिष्णुता भी पाई जाती है।
(स्रोत : पशु विज्ञान प्रभाग, भाकृअनुप )
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