मक्का की फसल में डिहसकिंग (छिलका उतारना) एवं शेलिंग (दाना निकालना) प्रमुख फसलोत्तर गतिविधियां हैं जिन्हें अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है। इन गतिविधियों में बहुत अधिक मेहनत लगती है क्योंकि इन्हें मैनुअल तरीके से किया जाता है। तथापि, हाथ से चलने वाले मक्का शेलर से कुछ हद तक महिलाओं पर दबाव कम हुआ और टूल्स के साथ मक्का के दाने निकालने में अभी भी महिलाओं का जीवनमुश्किल बना हुआ है और इसके कारण कम उपज मिलती है। इसके अलावा, दाने निकालने से पहले छिलका उतारा जाता है जिससे कि महिलाओं पर फालतू बोझ पड़ता है।
श्रम साध्यता की समस्या से निपटने और कार्य प्रभावशीलता में सुधार लाने के लिए भाकृअनुप – कृषिरत महिला अनुसंधान निदेशालय, भुवनेश्वर द्वारा छिलका उतारने व दाना निकालने के लिए श्रम दक्षता एवं मैकेनिकल पहलुओं का उपयोग करके एक महिला अनुकूल हाथ चालित मक्का डिहस्कर – शेलर का विकास किया गया है। इस मशीन को दो व्यक्तियों द्वारा चलाया जाता है और इसमें एक-एक करके मक्का छल्ली को डालने की जरूरत होती है। इस मशीन की मदद से पुरूष कामगारों द्वारा 57 rpm की हैण्ड क्रैन्किंग गति पर चलाते हुए 89.6 किग्रा. दाना/घंटा की उपज हासिल की जाती है जबकि महिला कामगारों द्वारा 52 rpm की हैण्ड क्रैन्किंग गति पर 63.4 किग्रा. दाना/घंटा की उपज हासिल की जा सकती है। हाथ से छिलका उतारने और दाना निकालने की तुलना में इस उपकरण की मदद से मजदूरी में 48.9 प्रतिशत की कमी आई जबकि टयूबुलर मक्का शेलर के साथ दाना निकालने एवं हाथ से छिलका उतारने में यह कमी 38.7 प्रतिशत थी। इस उपकरण को 370 वॉट की सिंगल फेज इलेक्ट्रिक मोटर से भी चलाया जा सकता है। इन सभी विशेषताओं के साथ, डीआरडब्ल्यूए डिहस्कर-सह-शेलर द्वारा कृषि गतिविधियों में शामिल महिलाओं को कहीं अधिक राहत मिलने की उम्मीद जगी है ।
(स्रोत : भाकृअनुप – कृषिरत महिला अनुसंधान निदेशालय, भुवनेश्वर )
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