जिला ऊधम सिंह नगर के किसान मुख्य रूप से धान और गेहूँ की खेती करते रहे हैं। वे मुख्य रूप से ग्रीष्मकालीन चावल, चावल और गेहूँ की फसलों की खेती के माध्यम से अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करते हैं। जिले के किसानों ने महसूस किया कि दीर्घावधि में ग्रीष्मकालीन चावल की खेती फलदायी नहीं है। इसलिए वे एक वैकल्पिक फसल चाहते थे जो ग्रीष्मकालीन चावल की तुलना में अधिक आय प्रदान करने में मदद कर सके।
कृषि विज्ञान केंद्र, काशीपुर ने मक्का की फसल की स्थिति का पता लगाया। केवीके को जिले में मक्का प्रसंस्करण के लिए भारी मांग मिली। एक अनुमान के अनुसार, मक्का के प्रसंस्करण, बच्चे के भोजन की तैयारी, मकई की चीनी और स्टार्च के अन्य औद्योगिक उत्पादन आदि के लिए उद्योग को लगभग 1,200 टन/दिन मक्का की आवश्यकता होती है। इसलिए मक्के की फसल के औद्योगिक मांगों और किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, गर्मियों के मौसम के दौरान मक्का के उत्पादन के बारे में, हितधारकों, मुख्य कृषि अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र, काशीपुर के अधिकारी प्रभारी, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और उद्योग के लोगों के बीच कई चर्चाएँ हुईं। ग्रीष्मकालीन चावल के लिए वैकल्पिक फसल के रूप में प्रयोगात्मक आधार पर संकर मक्का की फसल का प्रदर्शन करने के लिए अंतिम निष्कर्ष निकाला गया।
एटीएमए (ATMA), उधमसिंह नगर के वित्तीय सहयोग से संकर मक्का DEKALB 9108 प्लस पर 36 चयनित किसानों के खेत में 20 हैक्टेयर के क्षेत्र में प्रदर्शन किए गए। आवधिक पर्यवेक्षण और विभागीय अधिकारियों के दौरे ने किसानों को फसल के लिए उचित पैकेज अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया।
किसानों के क्षेत्र में प्रदर्शनों के परिणाम
प्रदर्शित प्रौद्योगिकी का नाम |
प्रदर्शनों की संख्या |
क्षेत्र (हैक्टेयर) |
उपज (क्विंटल/हैक्टेयर) |
प्रदर्शन का अर्थशास्त्र
|
|||||
प्रदर्शन |
सकल लागत |
सकल वापसी |
शुद्ध वापसी
|
लाभ-लागत अनुपात (बीसीआर) |
|||||
एच |
एल |
ए |
|||||||
मक्का DEKALB 9108 प्लस |
36 |
20 |
105 |
75 |
89.1 |
25000 |
136500 |
111500 |
5.46 |
वर्तमान में, फसल की कटाई और उत्पादन 89.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जो ग्रीष्मकालीन चावल से बेहतर है। किसान इस बात से भी अवगत हैं कि, बिचौलिया के हस्तक्षेप के बिना उनके उत्पाद के लिए एक तैयार बाजार है जहाँ कम-से-कम 1,300 रुपए/क्विंटल मिल रहा है और लागत लाभ अनुपात उनके पक्ष में है।
मक्का और ग्रीष्मकालीन चावल की खेती करने वाले पाँच प्रगतिशील किसानों की तुलना
पैरामीटर (मानदण्ड) |
मक्का |
ग्रीष्मकालीन चावल |
उपज (क्विंटल/हैक्टेयर) |
100 |
80 |
खेती की लागत (रु/हैक्टेयर) |
25000 |
40000 |
सकल वापसी (रु/हैक्टेयर) |
130000 |
96000 |
शुद्ध वापसी (रु/हैक्टेयर) |
105000 |
56000 |
नतीजतन, नए अनुमानों से पता चला कि अन्य किसान, जो पहले मक्का की खेती करने के लिए तैयार नहीं थे, अब अगले सीजन से उधम सिंह नगर जिले में इसकी खेती में काफी रुचि रखते हैं। इस प्रयोजन के लिए किसान पहले से ही अधिकारी प्रभारी, केवीके, काशीपुर और सीएओ, ऊधम सिंह नगर के साथ बातचीत कर रहे हैं। जिले में मक्के की खाद्य उद्योग संचालित मांग ने क्षेत्र के विस्तार के लिए एक दिशा दिखाया है। परिणामस्वरूप, ATMA, ऊधमसिंह नगर के समन्वित प्रयासों के साथ-साथ वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को ऊँची कीमतों के लिए गर्मियों के चावल के बदले बेहतर रास्ते तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। इन सहयोगी प्रयासों ने ठोस परिणाम प्राप्त किए हैं।
किसान समुदाय के बीच प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार के लिए क्षेत्रीय दिवस और समाचार पत्र कवरेज के आयोजन संबंधी गतिविधियाँ प्रमुख साबित हुईं। संकर मक्का की प्रगति का आँकलन करने के लिए विभिन्न चरणों के दौरान किसानों के क्षेत्र में अधिकारियों के दौरे भी किए गए। गत वर्षों में, उधम सिंह नगर उद्योग विभिन्न राज्यों से मक्का का आयात करता रहा है ताकि बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इसलिए किसानों को अवसर के मद्देनजर विस्तार गतिविधियों से भी सचेत कराया गया।
(स्रोत: कृषि विज्ञान केंद्र, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड)
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