भाकृअनुप-आईवीआरआई की चारा पहल ने उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में किसानों के खेत में बी-एन हाइब्रिड को अपनाने में किया वृद्धि

भाकृअनुप-आईवीआरआई की चारा पहल ने उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में किसानों के खेत में बी-एन हाइब्रिड को अपनाने में किया वृद्धि

हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता सामान्य के साथ-साथ पशुधन के प्रजनन स्वास्थ्य, उनके दूध और डेयरी उद्यम के अर्थशास्त्र पर भी प्रभाव डालती है। भारत में फसल क्षेत्र के केवल 8.4 मिलियन हैक्टेयर (5.23%) पर ही हरे चारे की खेती की जा रही है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में मौसम के अनुसार बोए गए कुल फसल क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2013-14 के दौरान रबी (3,384 हैक्टेयर), खरीफ (5,113 हैक्टेयर) और जैद (2,593 हैक्टेयर) में क्रमश: 1.02%, 1.54% और 0.78% पर चारे की फसलों को पाया गया, जबकि वर्ष 2012 में 19वीं पशुधन गणना के अनुसार जिले की कुल पशुधन आबादी 1,125,743 है जो पशुधन और हरे चारे की उपलब्धता के बीच व्यापक अंतर को इंगित करता है।

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बरेली जिले में हरे चारे की समस्या को ध्यान में देखते हुए भाकृअनुप- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर ने किसानों को हरे चारे की गुणवत्ता और खेती के अर्थशास्त्र के बारे में जागरूक करने व बाजरा नेपियर (बी-एन हाइब्रिड) को लोकप्रिय बनाने के लिए वर्ष 2017 में गहन प्रचार गतिविधियों को लागू किया।

संस्थान के चारा फार्म में बी-एन हाइब्रिड के प्रदर्शन (30 एकड़) के लिए किसानों के प्रदर्शन दौरे के रूप में विस्तार शिक्षा कार्यक्रम की श्रृंखला, किसानों की कार्यशालाएँ, इंटरफेस बैठक और प्रशिक्षण, यूट्यूब का विकास, यूट्यूब वीडियो के जरिए एक गाँव की सफलता की कहानी ने किसानों को उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में ही नहीं बल्कि देश के 10 अन्य राज्यों में भी बी-एन हाइब्रिड खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

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10 राज्यों के लगभग 450 किसानों/युवाओं से रोपण सामग्री जैसे बी-एन हाइब्रिड की कटिंग/रूटेड पर्चियों की आपूर्ति के लिए अनुरोध प्राप्त करने पर संस्थान असम, मणिपुर, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड इत्यादि में रहने वाले किसानों को 40 कटिंग की आपूर्ति कर रहा है।

भाकृअनुप-आईवीआरआई ने उत्तर प्रदेश, असम, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा और मणिपुर के किसानों को 6,84,440 कट्टों का वितरण/आपूर्ति किया है।

इससे पहले बरेली जिले के किसानों को बी-एन हाइब्रिड के बारे में जानकारी नहीं थी; संस्थान की विस्तार गतिविधियों ने हाइब्रिड की खेती में बरेली जिले के किसानों की रुचि और उनके हितों को बढ़ाया। बी-एन हाइब्रिड अपनाने वाले 200 किसानों के विश्लेषण के अनुसार बरेली में बी-एन हाइब्रिड की खेती 0.08 से बढ़कर 3 एकड़ के क्षेत्रफल में की जा रही है। अब किसान पहली कटाई में 10-15 टिलर/प्लांट ले रहे हैं और तीसरी कटाई में यह 60 से 120 टिलर/प्लांट तक बढ़ा दिया गया है। किसान अब तीसरी फसल में बी-एन हाइब्रिड का 220 से 250 क्विंटल प्रति एकड़ हरा चारा उपजा रहे हैं।

किसानों के कथनानुसार, डेयरी पशुओं के लिए बी-एन हाइब्रिड के हरे चारे की नियमित उपलब्धता से दूध की उपज में प्रति दिन 0.5 से 1.0 लीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे पहले शुष्क मौसम के दौरान डेयरी पशु हरे चारे से वंचित रह जाते थे, जिसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन कम होता था। लेकिन अब बी-एन हाइब्रिड की खेती उनके डेयरी पशुओं को नियमित हरा चारा उपलब्ध करा रही है। परिणामस्वरूप दुग्धपान की अवधि 1 महीने तक बढ़ा दी गई है। इसके अलावा किसानों द्वारा अपने रिश्तेदारों और अन्य गाँवों के किसानों को बी-एन हाइब्रिड की कटिंग/रूटेड पर्चियाँ वितरित करके प्रौद्योगिकी का प्रसार भी किया गया है। इस प्रक्रिया ने किसान-से-किसान विस्तार के कारण बी-एन हाइब्रिड के तहत लगभग 40 एकड़ क्षेत्र को लाने का काम किया है।

अब किसानों के खेत में प्रति एकड़ मासिक शुद्ध आय 4 कटिंग लेकर पहले साल में बढ़कर 4,103 रुपए हो गई है, जबकि दूसरे वर्ष में बी-एन हाइब्रिड की 6 कटिंग लेकर किसानों के खेत में प्रति एकड़ शुद्ध आय 10,369 रुपए थी।

हरे चारे की फसल के रूप में नेपियर

गेरेम गाँव में नेपियर घास को अपनाना: आईवीआरआई की एक सफलता की कहानी

(स्रोत: भाकृअनुप- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर)

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